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Manmohan Singh : डॉ मनमोहन सिंह ने देश के हित में लिए बड़े फैसले

नई दिल्‍ली (New Delhi)। Manmohan Singh Birthday- देश में आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में पहचान रखने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का 26 सितंबर को अपना 91वां जन्मदिन मनाएंगे। देश में आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में पहचान रखने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 91 साल को हो गए हैं। वे अपना 91वां जन्मदिन मनाएंगे। मनमोहन सिंह का जन्मदिन 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान) के एक गांव में हुआ था। उन्हें 90 के दशक में देश में आर्थिक सुधारों का सूत्रधार माना जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में से एक हैं। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह 10 वर्षों तक भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।



देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हमेशा उनके आर्थिक सुधारों के लिए प्रशंसा की जाती है। 1991 में शुरू हुए आर्थिक सुधारों से सेवा क्षेत्र का विस्तार हुआ, जिसमें उदारीकृत निवेश और व्यापार व्यवस्था से काफी हद तक मदद मिली, हालांकि मनमोहन सिंह को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपने शांत स्वभाव के लिए विपक्ष की कई बार आलोचना का सामना भी करना पड़ा था, लेकिन कई अर्थशास्त्रियों ने उनकी प्रशंसा की और कई नेताओं ने उनके आर्थिक सुधारों के लिए उनका स्वागत किया। मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बनने से 13 साल पहले देश के वित्त मंत्री भी थे। मनमोहन सिंह के बर्थडे के मौके पर उनसे जुडी ऐसी कुछ ख़ास बातें हैं जिन्होंने देश में कई आर्थिक सुधार किए।

जीडीपी बढ़ने में मिली मदद
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के साथ उस अवधि की अध्यक्षता की थी जब भारतीय अर्थव्यवस्था 8-9% आर्थिक विकास दर के साथ बढ़ी। साल 2007 में भारत ने 9% की उच्चतम जीडीपी विकास दर हासिल की और इस दौरान भारत दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया। मनमोहन सिंह की सरकार ने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में सुधार पर भी काम किया। मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल के ही दौरान वित्त मंत्रालय ने किसानों को उनके कर्ज से मुक्त करने और उद्योग समर्थक नीतियों पर काम किया। वर्ष 2005 में मनमोहन सिंह की सरकार ने जटिल सेल्स टैक्स की जगह वैट पेश किया था।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल के दौरान विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) अधिनियम 2005 लागू किया गया था। इस एक्ट को 23 जून 2005 को भारत के राष्ट्रपति ने मंज़ूरी दी थी। अधिनियम 10 फरवरी 2006 को विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) नियम 2006 के साथ लागू हुआ था। इस एक्ट को देश में निवेश को आकर्षित करने और वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा की पीढ़ी के माध्यम से देश के आर्थिक विकास के लिए एक अभियान के रूप में अधिनियमित किया गया था। अधिनियम के उद्देश्य थे कि, विशेष आर्थिक क्षेत्रों और इसकी इकाइयों की स्थापना के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करने में मदद मिले। वस्तुओं और सेवाओं को बढ़ावा देने और विदेशी और घरेलू निवेश पैदा करके अतिरिक्त आर्थिक गतिविधि उत्पन्न किया जा सके।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) एक्ट 2005 को मिली मंज़ूरी
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) पेश किया था। यह एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसका उद्देश्य भारत में ग्रामीण समुदायों और मजदूरों को आजीविका, जीविका और रोजगार प्रदान करना है। नरेगा एक वर्ष में कम से कम 100 दिनों का निश्चित वेतन रोजगार प्रदान करके ग्रामीण परिवारों को आय सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

भारत-अमेरिका परमाणु समझौता
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक, भारत-अमेरिका परमाणु समझौते या भारत असैनिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करना था। भारत और अमेरिका के बीच इस समझौते की रूपरेखा मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा एक संयुक्त बयान में बनाई गई थी। समझौते के तहत, भारत अपनी असैन्य और सैन्य परमाणु सुविधाओं को अलग करने पर सहमत हुआ था और सभी असैन्य परमाणु सुविधाओं को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के तहत रखा जाएगा। समझौते पर 18 जुलाई 2005 को हस्ताक्षर किए गए थे।

आरबीआई के गवर्नर भी रहे और यूजीसी के अध्यक्ष भी…
वैसे बता दें कि वह 1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष के तौर पर रहे और 1990 में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए. जब पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1999 में अपने मंत्रिमंडल में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया. इसके अलावा वह वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी वह रह चुके हैं।

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