नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने बोगियों के आवंटन और लौह अयस्क की ढुलाई का नियमन करने वाली लौह अयस्क से जुड़ी नई नीति की घोषणा की है। ‘लौह अयस्क नीति-2021’ अगले माह 10 फरवरी से प्रभावी होगी।
रेल मंत्रालय ने बताया कि नई नीति का उद्देश्य लौह अयस्क ग्राहकों की माल ढुलाई से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ इस्पात उद्योग की माल ढुलाई से संबन्धित सभी सहूलियतें उपलब्ध कराना है, ताकि इस्पात उद्योग घरेलू और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की चुनौतियों का सामना करने योग्य बन सके।
सीआरआईएस बोगियों के आवंटन प्रणाली में होगा बदलाव
नई नीति में यह साफ तौर पर स्पष्ट कर दिया गया है कि उपलब्ध लोडिंग-अनलोडिंग समेत सभी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का इस्तेमाल करते हुए ग्राहकों की सभी आवश्यकता को पूरा किया जाएगा। नई नीति के अनुसार सीआरआईएस बोगियों (रेक्स) के आवंटन प्रणाली में बदलाव करेगी।
नई नीति के मुख्य बिंदु :
सीबीटी और गैर सीबीटी ग्राहकों की प्रोफाइल पर आधारित श्रेणीबद्ध किए जाने की वर्तमान व्यवस्था को बदला जा रहा है। बोगियों के आवंटन और माल ढुलाई के संदर्भ में नए और पुराने संयंत्रों को एक समान महत्व दिया जाएगा।
लौह अयस्क की प्राथमिकता के आधार पर ढुलाई की व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है। ग्राहकों द्वारा विकसित की गई लोडिंग और अनलोडिंग की बुनियादी ढांचागत व्यवस्था की उपलब्धता के आधार पर लौह अयस्क की ढुलाई को प्राथमिकता में श्रेणीबद्ध किया जा रहा है ताकि लौह अयस्क की ढुलाई में तेजी आ सके।
ग्राहकों को प्राथमिकता दिए जाने की व्यवस्था (रेक्स अलॉटमेंट स्कीम) के अंतर्गत सिस्टम द्वारा स्वतः तैयार की जाएगी जो कि ग्राहक की प्रोफाइल (विनिर्माता का नाम, भेजने वाले का नाम, प्राप्तकर्ता का नाम, साईडिंग/पीएफ़टी नाम और कोड) पर निर्भर करेगा, जिसे संबंधित जोन द्वारा सिस्टम में अपडेट किया गया होगा।
घरेलू विनिर्माण से जुड़ी गतिविधियों के लिए लौह अयस्क की ढुलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
ग्राहक माल ढुलाई के लिए अपनी अभियोग्यता और आवश्यकता के अनुसार अपनी प्राथमिकता या प्राथमिकताओं का चयन करने के लिए स्वतंत्र होंगे। प्राथमिकताओं का चुनाव करने के लिए अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
कम गुणवत्ता वाले लौह अयस्क को, जिसे उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान अस्वीकृत कर दिया गया हो उसे प्राथमिकता श्रेणी-डी के अंतर्गत किसी भी स्थान पर ले जाया जा सकेगा।
माल ढुलाई के ठेकों के अंतर्गत ग्राहक अपनी आवश्यकतानुसार मांग पत्र जारी करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
व्यवसाय को और सुगम बनाने के उद्देश्य से रेलवे द्वारा दस्तावेजों की जांच-पड़ताल की व्यवस्था को ख़त्म कर दिया गया है। ईडीआरएम कार्यालय, कोलकाता लौह अयस्क की ढुलाई का कार्यक्रम बनाता रहा है लेकिन नई नीति में माल ढुलाई के लिए इसकी नियामक की भूमिका को ख़त्म कर दिया गया है। हालांकि यह कार्यालय विभिन्न लौह अयस्क परिवहन के लिए विश्लेषण करता रहेगा ताकि रेलवे की माल ढुलाई व्यवस्था को और बेहतर किया जा सके।
अब ग्राहक को किसी भी प्राथमिकता श्रेणी में अपने माल की ढुलाई के लिए वचन पत्र देना होगा कि माल की खरीद से लेकर उसकी ढुलाई और उसके इस्तेमाल में केंद्र और राज्य सरकारों के नियमों और क़ानूनों का अनुसरण किया गया है। इनमें किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए ग्राहकों को जिम्मेदार माना जाएगा और ग्राहक द्वारा की गई किसी गलती का हर्जाना रेलवे को देना होगा। (एजेंसी, हि.स.)
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