- कलेक्टर बोले – जमीनी धोखाधड़ी की भी शिकायतें आने लगी – अधिकारियों को दिए निर्देश
इंदौर। नवागत कलेक्टर इलैया राजा टी का जनसुनवाई के साथ-साथ सीएम हेल्पलाइन और लोकसेवा गारंटी में दर्ज प्रकरणों के निराकरण पर अधिक जोर नजर आ रहा है। अधिनस्थ अधिकारियों को भी उन्होंने समय सीमा की बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी तरह की लापरवाही-उदासीनता नहीं बरती जाए और अगले तीन माह की प्राथमिकता वे स्वयं तय करें और अपने विभाग से संबंधित कार्यों के लिए वे खुद जिम्मेदार रहेंगे। वहीं अग्निबाण से चर्चा करते हुए कलेक्टर ने कहा कि एक हेल्प डेस्क भी बनाई जाएगी।
इस हेल्प डेस्क पर आवेदन तैयार करवाने, आयुष्मान सहित अन्य योजनाओं का लाभ दिलवाने से लेकर आम जनता को उनके प्रकरणों के संबंध में जरूरी समझाइश भी दी जाएगी। कलेक्टर इलैया राजा टी के मुताबिक जमीनों की धोखाधड़ी की शिकायतें भी बड़ी संख्या में जनसुनवाई में प्राप्त होती है। हमारा प्रयास रहेगा कि संबंधित विभागों के माध्यम से इनका भी निराकरण करवाया जाए। इनमें कई शिकायतें गृह निर्माण संस्थाओं, प्राधिकरण या निगम से संबंधित भी रहती है। कल भी ऐसा ही एक मामला उनके सामने आया, जो प्राधिकरण से संबंधित था।
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन पर कब्जा किया गया। हालांकि इस मामले में आरोपी को सात साल की जेल भी हुई। मगर पीडि़त अभी भी परेशान हो रहा है। लिहाजा ऐसे मामलों में हमारा प्रयास होगा कि माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तो की ही जाए, साथ ही पीडि़त को भी भूखंड, कब्जा दिलवाने से लेकर वाजिब राहत मिल सके। एक हेल्प डेस्क भी बनाए जाने की बात कलेक्टर ने कही, क्योंकि कई लोग ऐसे आते हैं जिन्हें आवेदन लिखना भी नहीं आता और किस विभाग से संबंधित उनका प्रकरण है इसकी भी जानकारी नहीं रहती। लिहाजा यह भी प्रयास किया जा रहा है कि जनसुनवाई के आवेदन को तैयार करवाने के लिए एक फॉर्मेट बनाया जाए और एक मॉनिटरिंग सिस्टम भी विकसित हो, ताकि लोगों को भी बार-बार चक्कर न लगाना पड़े।
कंट्रोल दुकानदारों के लिए भी ड्रेस कोड का नवाचार लागू
कलेक्टर इलैया राजा नवाचार के लिए भी जाने जाते हैं। जिन जिलों में वे रहे वहां कई तरह के नए प्रयोग किए गए। उन्हीं के सुझाव पर अभी आदिवासी बच्चों को शॉपिंग मॉल में घुमाने, फिल्म दिखाने और खाना खिलाने का प्रयोग अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर और एसडीएम मुनीष सिकरवार ने किया। वहीं इंदौर जिले की सभी 514 कंट्रोल दुकानों के विक्रेताओं को ग्रे कलर का एप्रीन और नेम प्लेट की व्यवस्था करवाई। यानी इंदौर पहला ऐसा जिला है जहां कंट्रोल दुकानदारों के लिए प्रशासन ने यह ड्रेस कोड निर्धारित किया है। साथ ही उन्हें यह भी निर्देश दिए कि वे समय पर दुकानें खोलें और राशन उपभोक्ताओं को वितरित करें।