थंजावुर (तमिलनाडु). प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और रामचरितमानस (Ramcharitmanas) के प्रख्यात व्याख्याता (Lecturer) मोरारी बापू (Morari Bapu) ने बुधवार को तमिलनाडु (Tamil Nadu) के थंजावुर (Thanjavur) में चल रही मानस हरि भजन रामकथा (Ram Katha) के दौरान भजन के वास्तविक अर्थ और महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा, “जगत के जितने साधन और अनुष्ठान हैं, सुन लो, इन सब में श्रम है। विश्राम यदि किसी में है, तो वह केवल भजन में है। भजन कोई अनुष्ठान नहीं है। मैं बार-बार कहता हूं, भजन कोई साधन नहीं है। भजन मार्ग नहीं है, यह मंज़िल है। यह अंतिम पड़ाव है।” अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “और मेरे अनुभव के आधार पर, मैं विश्व को यह बात डंके की चोट पर कहता हूं। गोस्वामी जी कहते हैं, पायो परम विश्राम। यह भजन सच्चा विश्राम प्रदान करता है।”
मोरारी बापू ने अनुष्ठानों की महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा कि अनुष्ठान करना चाहिए। जाप, तप, व्रत, दान, ये सभी शुभ साधन हैं, लेकिन ये थकावट भी देते हैं।
उन्होंने मौन को उदाहरण के रूप में लेते हुए कहा, “यदि आप मौन धारण करेंगे, तो आप सोचेंगे कि कब तक मौन रहूं। लोग आलोचना करते हैं, कटु शब्द कहते हैं। हम मौन ही बने रहते हैं। इससे मन थक जाता है।”
मोरारी बापू ने बताया कि संसार में सच्चा विश्राम केवल भजन में ही है। उन्होंने कहा, “मेरे शब्दकोश में कुछ शब्दों का दिव्य महत्व है। इन शब्दों में से एक है भजन, जो बहुत ही प्रिय और पवित्र शब्द है।”
मोरारी बापू का यह संदेश भजन की आध्यात्मिक शक्ति और जीवन में इसकी भूमिका को समझने का आह्वान है।
जीवन की समस्याओं पर विचार करते हुए बापू ने सलाह दी कि हल्के विचारों में समय न गवाएं।
“जीवन में समस्याओं के समाधान की बात करनी चाहिए। समस्याओं का समाधान, हमारी सोच और आदतों का समाधान, इन्हें हल्के विचारों से नहीं सुलझाया जा सकता। इसके लिए हमें सदगुरु की सलाह लेनी चाहिए और गहन विचार करना चाहिए।”
मोरारी बापू ने क्रिसमस के आध्यात्मिक महत्व पर भी बात की और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे और वृक्षारोपण के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
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