- सावन सोनकर से लेकर उमेश शर्मा तक उपचुनाव का पुरस्कार पाने की आस में
इंदौर। एक बार फिर भाजपा(BJP) में निगम-मंडल (corporation) में नियुक्तियों को लेकर कवायद शुरू हुई है। संगठन (organization) और सरकार (government) के बीच कल बैठक हुई है और बताया जा रहा है कि उन नेताओं (leaders) को चुनाव (elections) में पुरस्कार दिया जा सकता है, जिन्होंने उपचुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा संगठन के कुछ ऐसे बड़े नाम भी हैं, जिन्हें सरकारी कुर्सी मिल सकती है। इंदौर में उमेश शर्मा भी इस दौड़ में आगे हैं और सावन सोनकर को भी सांवेर उपचुनाव का पुरस्कार पाने की आस है।
निगम-मंडलों में पद पाने की लालसा में वैसे तो इंदौर के आधा दर्जन से अधिक नेता दिल्ली-भोपाल (Delhi-Bhopal) की दौड़ में लगे हैं तो कहीं यहीं से बैठकर निगम-मंडल की कुर्सी पर निगाह गड़ाए बैठे हैं। कल भोपाल (Bhopal) में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ( Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के बीच हुई बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही सरकार निगम-मंडलों के खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां करने जा रही हैं। इन नियुक्तियों में उपचुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने वाले भाजपा नेताओं को उपकृत किया जा सकता है। इसके साथ ही कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए नेताओं को भी कहीं न कहीं उपकृत करना है, जो सिंधिया के काफी नजदीकी हैं। प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव के भोपाल पहुंचने के पहले सारी कवायदें पूरी होने की संभावना है। वैसे इंदौर में देखा जाए तो सिंधिया खेमे के मोहन सेंगर को अभी तक कोई पद नहीं दिया गया है और माना जा रहा है कि सेंगर को कोई बड़ा पद या निगम-मंडल दिया जा सकता है। उन्हें उपाध्यक्ष बनाकर भोपाल भेजा जा सकता है। वहीं सिंधिया खेमे से प्रमोद टंडन और विपिन खुजनेरी को पहले ही प्रदेश कार्यकारिणी में लिया जा चुका है, लेकिन महाराज से संबंध के चलते टंडन कोई बड़ा पद पाने की जुगाड़ में हैं। भाजपा के पुराने नेताओं में देखा जाए तो 1 नंबर से गोलू शुक्ला भी दावेदारों की सूची में आगे हैं। यहां से कमल वाघेला का नाम भी है जो संघ कोटे से महामंत्री बने थे। 2 नंबर में वैसे विधायक रमेश मेंदोला भी हैं जो कई बार मंत्री बनते-बनते पीछे रह गए हैं। अगर संगठन चाहेगा तो मेंदोला को किसी भारी-भरकम निगम-मंडल का अध्यक्ष बनाकर उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। 3 नंबर में उमेश शर्मा सबसे आगे हैं। कयास थे कि शर्मा को प्रदेश कार्यकारिीणी में लिया जाएगा, लेकिन उन्हें नहीं लिया गया, इसलिए उनको मलाईदार पद देने की संभावना बढ़ गई है। 4 नंबर में कोई बड़ा नाम अभी सामने नहीं आया है। वहीं 5 नंबर में गोविंद मालू लाबिंग कर रहे हैं। वे दिल्ली और भोपाल के संबंधों के चलते इस बार फिर राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त किसी निगम-मंडल में जा सकते हैं। यहां से मुकेश राजावत और नानूराम कुमावत जैसे नाम भी हैं जो इंदौर से भोपाल की राजनीति में जाना चाह रहे हैं। सावन सोनकर भी एक बड़ा नाम है। सावन को उपचुनाव के पहले मनाकर तुलसी सिलावट के पक्ष में प्रचार करने के लिए मैदान में उतारा गया था। अगर उन्हें पुरस्कार दिया गया तो भोपाल में किसी बड़ी सीट पर उन्हें भी बिठाया जा सकता है, लेकिन अंदर की खबर है कि वे इंदौर की राजनीति में ही रहना चाहते हैं और गौरव रणदिवे से नजदीकियों के चलते नगर कार्यकारिणी में महामंत्री बनना चाहते हैं।
नगर और जिले की कार्यकारिणी को लेकर आशवस्त कर गए शर्मा
बार-बार टलती जा रही जिले और नगर की कार्यकारिणी को लेकर दो दिन पहले दोनों अध्यक्षों ने प्रदेश्या अध्यक्ष वीडी शर्मा से बात की थी। शर्मा दिल्ली से इंदौर आकर भोपाल गए थे और इसी मौके का फायदा उठाकर गौरव और राजेश सोनकर ने उनसे चर्चा की। बताया जा रहा है कि चर्चा के दौरान शर्मा ने कहा कि जल्द ही वे कार्यकारिणी की घोषणा कर देंगे। सूत्रों का कहना है कि दो दिन पहले ही जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर अपनी कार्यकारिणी की घोषणा करना चाह रहे थे, लेकिन नगर की कार्यकारिणी के नाम अभी फंसे हुए हैं और इसी कारण नगर की घोषणा नहीं हो रही है। अगर जिलाध्यक्ष सोनकर की चली तो वे भोपाल से अपनी कार्यकारिणी पर मुहर लगवाकर सूची घोषित कर सकते हैं, जबकि नगर की कार्यकारिणी भी इसी माह घोषित होने के आसार हैं, लेकिन महामंत्री के तीन नामों पर सहमति नहीं बनने के कारण फैसला नहीं हो पा रहा है।