गुवाहाटी: मन ने यदि कुछ करने को ठान लिया तो न ही उम्र बाधा बनती है और न ही हालत आड़े आते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है 2 बच्चों की मां 45 वर्षीय प्रीति मस्के की. उन्होंने अकेले साइकिल चलाकर तकरीबन 4000 किलोमीटर का सफर तय कर नया रिकॉर्ड बना दिया है. वह लगभग 14 दिन मे गुजरात से अरुणाचल प्रदेश पहुंचीं. प्रीति ने उम्र की बाधा को धता बताते हुए यह मुकाम हासिल किया है. लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करने के लिए प्रीति ने इस अभियान को न केवल स्वीकार किया, बल्कि उसे रिकॉर्ड समय में पूरा भी किया.
पुणे की प्रीति मस्के ने 1 नवंबर को पाकिस्तान से लगती भारत की पश्चिमी सीमा पर स्थित कोटेश्वर मंदिर से साइकिल यात्रा शुरू की थी. प्रीति गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम होते हुए पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश पहुंचीं. अभियान के अगुआ घनश्याम रघुवंशी ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रीति ने 13 दिन 19 घंटे और 12 मिनट में साइकिल से अकेले 3995 किलोमीटर की यात्रा पूरी की. वह 14 नवंबर को आधी रात में चीन की सीमा से लगते किबिथू पहुंचीं थीं. महज 14 दिन में साइकिल से अकेले पश्चिम से पूर्वी भारत की यात्रा करने वाली वह पहली महिला बन गई हैं. प्रीति ने 5 साल पहले बीमारी और अवसाद से लड़ने के लिए साइक्लिंग शुरू की थी.
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड को सौंपे गए रिकॉर्ड
प्रीति के कीर्तिमान को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए उनके अभियान से जुड़ीं तस्वीरें और अन्य सबूत वर्ल्ड अल्ट्रा साइक्लिंग एसोसिएशन और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड को सौंपे गए हैं, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है. घनश्याम रघुवंशी ने बताया कि आने वाले समय में प्रीति को इसका प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा. अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्शन की दिक्कतों के चलते इसकी जानकारी सार्वजनिक होने में देर हुई.
टीम ने हमेशा रखी नजर
प्रीति मस्के के साइक्लिंग अभियान पर हमेशा नजर रखी गई. उनके साथ-साथ गाड़ी में 5 लोगों की टीम लगातार चलती रही. उन्हें असम और अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी दुर्गम मार्ग में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बता दें कि उन्हें इस अभियान में कुल 15,679 मीटर की ऊंचाई को पार करना पड़ा. प्रीति ने बताया कि ऐसे रास्तों में साइकिल चलाना काफी चुनौतीपूर्ण है. अरुणाचल प्रदेश में चढ़ाई के साथ ही खराब सड़क और निर्माण कार्य से यह और भी कठिन हो गया था. अरुणाचल में तो रात के समय तापमान भी 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता था.