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MP: BJP विधायक की CM से मांग, बोले- झोलाछाप डॉक्टरों को मिले कोरोना योद्धा का दर्जा

देश भर में कोरोना महामारी की दूसरी लहर जारी है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस का कहर बन टूटा है। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस(corona virus) पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इस बीच, मध्यप्रदेश में भाजपा विधायक ने अजीबोगरीब मांग कर दी है। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा कि झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें भी कोरोना योद्धा का दर्जा दिए जाए।

नारायण त्रिपाठी ने प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टरों (quacks doctors) को भी कोरोना योद्धा का दर्जा दिए जाने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। नारायण त्रिपाठी (Narayan Tripathi) का मानना है कि कोरोना महामारी के दौर में झोलाछाप चिकित्सकों ने देवदूत बनकर ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

कहा- झोलाछाप नहीं, देवदूत बुलाया जाए
सतना जिले के मैहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक(MLA) त्रिपाठी ने अपने पत्र में झोलाछाप डॉक्टर की सेवाओं को लेकर मुख्यमंत्री को लिखा, गरीब वर्ग ने पैसे के अभाव में गांव में ही छोटी-मोटी खांसी-बुखार को इनकी दवा से ही कंट्रोल कर लिया था। ऐसे में इनको समुचित प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य विहीन क्षेत्रों में उपचार के लिए तैनात करना चाहिए। जो लोग इनको झोलाछाप संबोधित करते हैं, उनको अब कोरोना महामारी के बाद से देवदूत बोलना चाहिए।



झोलाछाप डॉक्टरों ने दिया सहयोग, अब सरकार दे इन्हें सम्मान
शिवराज सिंह चौहान को लिखे अपने पत्र में त्रिपाठी ने कहा, “हम और आप सभी ग्रामीण परिवेश से हैं। साथ ही यहां की वास्तविक परिस्थितियों को बेहतर तरीके से जानते हैं। हमने महामारी के दौरान गांव-गांव जाकर करीब से देखा है कि झोलाछाप डॉक्टरों ने सर्दी, खांसी, बुखार जैसी छोटी मोटी बीमारियों पर अंकुश लगाने का काम किया है। ऐसे ग्रामीण मरीज जिनके पास शहर के अस्पताल जाने और इलाज कराने के पैसे नहीं होते, उनका सहारा यही झोलाछाप डॉक्टर बने। इनको इंजेक्शन (injection) लगाने, डिप लगाने और सामान्य दवाइयों को देने का अनुभव होता है। कई के पास छोटी-मोटी डिग्री-डिप्लोमा भी होता है। इनका उपयोग प्राथमिक उपचार व जागरूकता के लिए किया जाना उचित होगा।”

झोलाछाप डॉक्टरों को दिया जाए प्रशिक्षण
भाजपा विधायक त्रिपाठी ने अपने पत्र में सुझाव दिया है कि सभी झोलाछाप डॉक्टरों का सर्वे कराया जाए, उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया जाए। फिर इनको स्वास्थ्य विभाग के तंत्र से जोड़ा जाए। इसके बाद सही दिशा में इनसे काम लिया जाए। डिग्रीधारी शासकीय या अशासकीय चिकित्सकों (private doctors) ने कोरोना महामारी में जब महत्वपूर्ण निभाई तो शासन, समाज ने उनका सम्मान किया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना महामारी के दौरान सराहनीय काम करने वाले चिकित्सक सिर्फ झोलाछाप ही बने हुए हैं। ऐसे में मेरा अनुरोध है कि ‘स्वास्थ्य रक्षक’ या ‘स्वास्थ्य सेवक’ मानकर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में उपयोग कर कोरोना योद्धा का दर्जा दिया जाए।

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