नई दिल्ली। आपराधिक मामलों में सांसदों के विशेषाधिकार (privilege) नहीं होते हैं। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है शुक्रवार को राज्यसभा में उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से सांसदों के विशेषाधिकार (privilege) को लेकर असमंजस बना हुआ है। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू (Rajya Sabha Chairman M. Venkaiah Naidu) ने कहा है उन्होंने कहा कि यह गलत धारणा बन रही है कि जांच एजेंसी संसद के सत्र के दौरान सांसदों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती है।
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने संविधान के अनुच्छेद 105 का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी सांसद को संसदीय कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि एक विशेषाधिकार यह है कि किसी भी सांसद को संसद का सत्र या संसदीय समिति की बैठक शुरू होने से 40 दिन पहले और 40 दिन बाद तक दीवानी मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
एम वेंकैया नायडू ने कहा कि हालांकि यह प्रावधान आपराधिक मामलों में लागू नहीं होता है। इस प्रावधान से सांसदों को अपराधिक मामलों में छूट नहीं मिलती है। इसका तात्पर्य है कि अपराधिक मामलों की कार्रवाई में सांसद भी सामान्य नागरिक की तरह होते हैं और उन्हें संसदीय सत्र या समिति की बैठक के दौरान गिरफ्तार किया जा सकता है।
उन्होंने इसके लिए वर्ष 1966 में तत्कालीन पीठासीन अधिकारी डॉ जाकिर हुसैन की एक व्यवस्था का उल्लेख किया। इसमें कहा गया है कि कोई भी सदस्य संसदीय कर्तव्यों का निर्वहन करने का हवाला देकर जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने से इनकार नहीं कर सकता है।
वहीं नायडू ने कहा कि सांसदों को कानून और व्यवस्था की प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए। यह सभी पर प्रभावी होता है। जांच एजेंसी से ऐसे मामलों में सत्र का उल्लेख करते हुए पेश होने के लिए अगली तारीख मांगी जा सकती है। नायडू ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का भी जिक्र किया।