इंदौर न्यूज़ (Indore News)

पशुओं के डॉक्टर में भी मुन्नाभाई, आठ को सात साल की जेल

  • जानवरों की जान भी खतरे में… असली की जगह नकली परीक्षा देते पकड़ाए

इंदौर। पशुपालन कोर्स में असल परीक्षार्थियों की जगह उनकी जगह छलिया लोगों द्वारा परीक्षा देते पकड़ाने के नौ बरस बाद अब कोर्ट ने आठ लोगों को सात साल के लिए जेल भेजते हुए कहा कि ऐसे लोग व्यावसायिक परीक्षा में प्रवेश पा जाते तो अपनी अयोग्यता के चलते संपूर्ण समाज के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते।

दरअसल व्यावसायिक परीक्षा मंडल भोपाल ने वर्ष 2013 में पशुपालन डिप्लोमा कोर्स हेतु प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी। इस दौरान होलकर सार्इंस कॉलेज में परीक्षा केंद्र पर झाबुआ के रामा डामोर की जगह उप्र का अविनाशकुमार सिंह, झाबुआ के माकनसिंह की जगह अंकितसिंह निवासी दादर नागर हवेली, मुरैना के अमीर होलकर की जगह कानपुर का रहने वाला अनूप द्विवेदी व झाबुआ के देवेंद्र झणिया की जगह एजाज एहमद निवासी कोटा राजस्थान परीक्षा देते पकड़ाए थे। वीक्षक नमिता बेंडे व अन्य ने उन्हें पॉक्सी तरीके से असली परीक्षार्थी की जगह परीक्षा देते पकड़ा था। मामले में एक्जाम सुपरिडेंट डॉक्टर संजय व्यास ने भंवरकुआ थाने में केस जालसाजी व अनुचित साधन अपनाने पर असली परीक्षार्थियों के साथ छलिया लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करार्इं थी।


मामला अदालत में चला, जहां मुलजिमों ने बचाव लिया कि पुलिस ने परीक्षा वीक्षकों के बयान नहीं लिये थे, लेकिन अंगूठों की छाप व वास्तविक परीक्षार्थी के नाम पर छलिया लोगों द्वारा परीक्षा देने का प्रयास करना साबित हो गया। सरकार की ओर से एजीपी संजय शर्मा ने आरोपियों को कठोर दंड देने का आग्रह किया था। अपर सत्र न्यायाधीश संजय कुमार गुप्ता ने इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए असली परीक्षार्थी व उनकी जगह परीक्षा देने गए छलियाओं को सबक सिखाते हुए पांच धाराओं में अधिकतम सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनार्इं। प्रत्येक आरोपी पर साढ़े छह हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया है। सजा सुनाकर आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है कि पॉक्सी छात्रों के माध्यम से परीक्षा उत्तीर्ण करने हेतु अनुचित साधन का सहारा लिया गया। निश्चित तौर पर यदि अभियुक्तगण अपने षड्यंत्र में सफल हो जाते तो अयोग्य अभ्यर्थी होने के पश्चात व्यावसायिक पाठ््यक्रम में प्रवेश पा जाते, जिससे उनकी अयोग्यता के चलते संपूर्ण समाज के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता।

एक आरोपी डॉक्टर तक बन चुका, दूसरा डॉक्टरी की कोचिंग दे रहा
मजेदार बात यह है कि मामले में पकड़ाया एक आरोपी अनूप पिता यज्ञदत्त द्विवेदी मेडिकल कोर्स पास करके झांसी में डॉक्टरी कर रहा है, जबकि अविनाशसिंह पिता महेंद्रसिंह पुणे में मेडिकल कोर्स की तैयारी हेतु कोचिंग कराने के धंधे में लगा हुआ है। सभी आरोपी पूर्व में कुछ दिन जेल में रहने के बाद जमानत पर छूट गए थे। अब सजा सुनने के बाद उन्हें कारावास भोगने के लिए जेल जाना पड़ा।

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