- प्लेटलेट्स बनाने वाला संभाग का पहला सरकारी अस्पताल
- 60 यूनिट्स रोज बना रहा है एमवाय का ब्लड बैंक
इंदौर। महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज (Mahatma Gandhi Medical College) से संबंधित एमवाय हॉस्पिटल (MYHospital) का ब्लड बैंक इंदौर (Indore) जिले के डेंगू पीडि़तों (dengue victims) की जान बचाने के लिए 1 सितंबर से लगभग 60 यूनिट प्लेटलेट्स (unit platelets)
हर रोज तैयार रहा है। इसके लिए ब्लड बैंक 2 तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। इस मामले में एमवाय ब्लड बैंक (MY Blood Bank) सारे संभाग में न सिर्फ अव्वल चल रहा है, बल्कि जरूरतमंद निजी अस्पतालों (Hospital) सहित जिले में आसपास के अस्पतालों (Hospital) को भी प्लेटलेट्स मुहैया करा रहा है।
ब्लड बैंक चीफ के अनुसार एमवाय हॉस्पिटल में प्लेटलेट्स 2 तरीकों से तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें से एक है ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन सिस्टम तो दूसरा तरीका है एसडीपीए, यानी सिंग्नल डोनर प्लेटलेट्स एफेरेसेस सिस्टम। दोनों तरीकों से प्लेटलेट्स बनाने में मेडिकल हाई टेक्नोलॉजी व किट सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। ब्लड से प्लेटलेट्स बनाने वाली इस एक मशीन की कीमत लगभग 25 लाख रुपए है। ब्लड बैंक में ऐसी लगभग 6 मशीनें हैं, जिनकी कीमत डेढ़ करोड़ रुपए है।
सात ब्लड डोनर से एक यूनिट प्लेटलेट्स
प्लेटलेट्स बनाने का पहला तरीका तो यह है कि ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मेडिकल तकनीक से प्लेटलेट्स बनाने लिए ब्लड निकालना पड़ता है। फिर मशीन द्वारा प्लेटलेट्स कंसंट्रेटर तैयार किया जाता है। यह तकनीक आर्थिक पहलू के हिसाब से तो सस्ती है, मगर इस तकनीक से एक यूनिट ब्लड से 40 से 50 एमएल प्लेटलेट्स ही तैयार हो पाते हैं। इसलिए एक यूनिट प्लेटलेट्स के लिए कम से कम सात ब्लड डोनर की जरूरत होती है।
एक ही ब्लड डोनर स एक यूनिट प्लेटलेट्स
ब्लड से प्लेटलेट्स तैयार करने का दूसरा तरीक थोड़ा महंगा है। इस तकनीक से एक यूनिट प्लेटलेट्स निकालने में लगभग 10 हजार रुपए का खर्चा आता है। इसमें ब्लड डोनर का ब्लड निकलना नहीं पड़ता, बल्कि मशीन के जरिए ब्लड डोनर के ब्लड से प्लेटलेट्स ही निकाल लिए जाते हैं। यह तरीका इसलिए महंगा साबित होता है, क्योंकि इसके लिए ऑटोमेटिक किट का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि महंगी होती है।
डेंगू में प्लेटलेट्स घटते हैं और मरीज की मौत हो जाती है
डेंगू बुखार आने के बाद यदि शरीर में लाल चकते निकल आएं, सिरदर्द व बुखार बहुत तेज होने लगे, यूरिन से ब्लड या खून की उल्टियां होने लगें तो समझ जाना चाहिए कि ब्लड में प्लेटलेट्स घटना शुरू हो गए हैं, जिससे मरीज की मौत हो जाती है, क्योंकि हर मानव शरीर में प्लेटलेट्स वो ब्लड सेल्स होते हैं, जो ब्लड में थक्के बनाते हैं और खून को बहने से रोकते हैं। प्लेटलेट्स हमारे बोनमैरो में बनते हैं। बोनमैरो में स्टेम सेल्स होते हैं, जो रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स के तौर पर विकसित होते हैं। शरीर में प्लेटलेट्स कम होने की वजह से नसें फटने लगती हैं। मरीज ब्रेन हेमरेज का शिकार हो जाता है।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीते के पत्तों का रस
डेंगू पीडि़त मरीज के लिए पपीते वाले पेड़ के पत्तों का रस चमत्कारिक है। इसके पत्तों को पहले अच्छी तरह से दो-तीन बार धो लें, फिर इसका रस निकालकर आधा कप दो-तीन बार मरीज को ठीक होने तक पिलाएं। पहला डोज पीते ही प्लेटलेट्स की संख्या बढऩे लगती है।
हम हर रोज लगभग 60 यूनिट प्लेटलेट्स तैयार कर रहे हैं। शहर या जिले में किसी भी जरूरतमंद को प्लेटलेट्स कमी नहीं आने दी जाएगी। इसके लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन व मशीनें हैं । ब्लड डोनर आगे रहकर सहयोग करें तो हम इससे और बेहतर परिणाम दे सकते हैं।
-डॉक्टर अशोक यादव, प्रोफेसर, हेड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन चीफ, एमवाय, इंदौर
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