विदेश

अंडमान के करीब कई तरह के डेवलपमेंट में जुटा म्यांमार, चीन को मिलेगा फायदा!

नई दिल्‍ली (New Delhi) । विस्तारवादी नीति की वजह से दुनियाभर में बदनाम चीन (China) समय-समय पर नापाक हरकतें करता रहता है। अमेरिका (America) समेत पश्चिमी देशों के साथ ही नहीं, बल्कि भारत (India) के साथ भी चीन के संबंध काफी खराब बने रहते हैं। एलएसी (LAC) पर तनाव पैदा करने वाले चीन की एक और हिमाकत का पता चला है। दरअसल, म्यांमार (Myanmar) कोको द्वीप पर कई तरह के डेवलपमेंट में लगा हुआ है। इसका फायदा आने वाले समय में चीन उठा सकता है। यह द्वीप भारत के अंडमान और निकोबार समूह द्वीप के करीब है, जिसकी वजह से चिंताएं बढ़ना लाजमी हैं। मैक्सर टेक्नॉलोजी द्वारा इस साल जनवरी में कैप्चर की गईं सैटेलाइट तस्वीरों से साफ दिखाई दे रहा है कि म्यांमार के कोको द्वीप पर दो नए हैंगर्स, नॉर्थ में कुछ इमारतों समेत अन्य का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, एक रडार स्टेशन भी दिखाई दे रहा है।


कोको द्वीप पर बनाए गए एयरबेस के रनवे को भी बढ़ा दिया गया है। अब इसकी लंबाई असाधारण रूप से बढ़ाकर 2,300 मीटर कर दी गई है, जो कि एक दशक पहले केवल 1,300 मीटर थी। इस पर लंदन स्थित थिंक टैंक चैथम हाउस ने अपनी वेबसाइट पर विभिन्न तस्वीरों समेत एक आर्टिकल भी प्रकाशित किया है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि म्यांमार जुंटा, जिसे आम बोलचाल की भाषा में तत्माडॉ कहा जाता है, अपने गुप्त समुद्री निगरानी अभियानों के लिए द्वीपों को तैयार कर रहा है, जो अक्सर चीन के साथ मिलीभगत से हो रहा है। तख्तापलट के तुरंत बाद सीसीपी (चीनी कम्युनिस्ट पार्टी) पर जुंटा की बढ़ती निर्भरता भी लोगों की चिंता को बढ़ा रही है। म्यांमार में पिछले दो सालों के गृह युद्ध ने उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया है। इसी बीच, बीजिंग ने नजदीकी दिखाते हुए चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे के माध्यम से वहां पर एक बड़ा निवेश किया है ताकि मलक्का जलडमरूमध्य को बाईपास करने के तरीके के रूप में हिंद महासागर समुद्री लेन तक पहुंच बनाई जा सके।

उधर, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार के घनी आबादी वाले शहरों के भीतर चीनी संस्थाओं द्वारा निर्मित निगरानी कैमरों की स्थापना में तेजी से वृद्धि देखी गई है। इसके पीछे वजह बताई गई है कि चीन अपने नागरिकों को इसके जरिए से ट्रैक करता है। यदि कोको द्वीप पर चीन की उपस्थिति बेहतर होती है तो चीनी सेना को एक रणनीतिक बढ़त मिलेगी क्योंकि यह महत्वपूर्ण हिंद महासागर समुद्री लेन तक पर्याप्त पहुंच प्रदान करता है। म्यांमार के कोको द्वीप में चल रहा डेवलपमेंट भारत को अलर्ट करने वाला है। यह भी डर है कि म्यांमार का इस्तेमाल चीन भारत की नौसेना पर नजर रखने के लिए भी कर सकता है। बता दें कि यह कोको द्वीप भारत के अंडमान और निकोबार समूह द्वीप से सिर्फ 55 किलोमीटर ही दूरी पर है। 1990 के दशक की शुरुआत में भी ऐसी खबरें सामने आई थीं कि चीनी सेना ने कोको द्वीप पर 45-50 मीटर का एंटीना टॉवर स्थापित किया था, जो सिग्नल इंटरसेप्ट उपकरण से लैस था।

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