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NASA ने मंगल ग्रह पर 1 साल बिताने के लिए आवेदन मांगे

नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (US space agency) नासा (NASA) ने मंगल ग्रह (Planet Mars) जैसे ठिकाने पर एक साल तक रहने के लिए चार लोगों के आवेदन मांगे (request applications) हैं. दरअसल, नासा (NASA) मंगल ग्रह (Planet Mars) पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने से पहले उन्हें भविष्य के मिशनों की वास्तविक चुनौतियों के लिए तैयार करना चाहता है.

नासा ने मंगल ग्रह जैसी परिस्थितियों वाली जगह पर 1 साल बिताने के लिए आवेदन मांगे हैं. ये लोग 1,700 वर्ग फीट में फैले 3डी-प्रिंटर द्वारा बनाए गए मार्स ड्यून अल्फा में रहेंगे, यह ह्यूस्टन में जॉनसन स्पेस सेंटर की बिल्डिंग में है.



नासा ने बयान में कहा, मंगल पर भविष्य के मिशनों की वास्तविक जीवन की चुनौतियों से जूझने की तैयारी में नासा यह स्टडी करेगा कि कैसे अत्यधिक प्रेरित व्यक्ति इतने लंबे वक्त तक जमीन आधारित आभासी परिस्थिति में रहता है.
मंगल की तरह बनाई गई इस जगह पर एक मिशन की तरह ही चुनौतियां मौजूद होंगी. इसमें संसाधनों की सीमाएं, उपकरण फेलियर, संचार में देरी और अन्य पर्यावरणीय तनाव भी होगा. इसके अलावा इसमें रहने वाले लोग सिम्युलेटेड स्पेसवॉक, वैज्ञानिक अनुसंधान, आभासी वास्तविकता और रोबोट नियंत्रण का इस्तेमाल कर सकेंगे.

नासा ऐसे तीन मिशनों की योजना बना रहा है. इन्हें क्रू हेल्थ एंड परफॉर्मेंस एक्सप्लोरेशन एनालॉग के रूप में जाना जाता है. पहला मिशन अगले साल 1 सितंबर से 30 नवंबर तक चलेगा. नासा के ह्यूस्टन में स्पेस सेंटर उन्नत खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान के प्रमुख वैज्ञानिक ग्रेस डगलस ने कहा, मंगल ग्रह की सतह पर रहने की जटिल जरूरतों को समझने के लिए और समाधानों के लिए एनालॉग अहम है.

उन्होंने कहा, पृथ्वी पर इस तरह से रहने से हमें उन शारीरिक और मानसिक चुनौतियों को समझने और उनका मुकाबला करने में मदद मिलेगी, जिनका अंतरिक्ष यात्री सामना करते हैं. आवेदन केवल अमेरिकी नागरिक कर सकते हैं और उनकी उम्र 30-55 साल होनी चाहिए. इसके अलावा आवेदकों को अंग्रेजी में दक्षता, अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य होना चाहिए और धूम्रपान न करते हों.

इसके अलावा शैक्षणिक दक्षता की बात करें तो किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से इंजीनियरिंग, गणित या जैविक, भौतिकी या कंप्यूटर विज्ञान जैसे एसटीईएम क्षेत्र में मास्टर डिग्री या कम से कम दो साल के पेशेवर एसटीईएम अनुभव के साथ होनी चाहिए. या टेस्ट पायलट प्रोग्राम पर भी विचार किया जा सकता है.

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