अजीब दर्द का रिश्ता था सब के सब रोए
शजर गिरा तो परिंदे तमाम शब रोए।
बड़े तालाब के बिशनखेड़ी के कीचड़ वाले हिस्से में भटक रहे ये देवेंद्र दुबे हैं। हाथ मे निकोन 300 एमएम कैमरा लिए देवेंद्र प्रवासी परिंदों से लेकर कई नायाब परिंदों को अपने कैमरे में कैद करने का जबरदस्त शौक रखते हैं। कोई 15 बरस तक दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण में प्रेस फोटोग्राफी करने वाले देवेंद्र अब प्रेस के लिए फ्रीलांस फोटोग्राफी करते हैं। बाकी ये अब नेचर और बर्ड फोटोग्राफी के माहिर माने जाते हैं। इस काम मे खुद को अपडेट रखने के लिए देवेंद्र ने जंगल फोटोग्राफी की बहुत जानकारी इकठ्ठा की। किस नस्ल के प्रवासी पक्षी कब आते हैं और कब उनकी विदाई होती है। इसकी सटीक जानकारी देवेंद्र को रटी हुई है। परिंदों का प्रजनन काल, उनके घोसलों और अंडों से बच्चों के बाहर आने तक की जानकारी ये रखते हैं। भोपाल में अफ्रीका, यूरोप से भारी तादात में प्रवासी पक्षी आते हैं। यहां वाटर बॉडी ज़्यादा होने से साइबेरिया, यूरेशिया से आये परिंदे यहां चार पांच महीने तक अपना ठिकाना बनाते हैं।
ये परिंदे यहां अंडे देते हैं और आखिर में अपने बच्चों को लेकर उड़ जाते हैं। देवेंद्र ने अद्भुत परिंदे फ्लेमिंगो के झुंड को अपने कैमरे में कैद किया था। 2019 में फ्लेमिंगो का झुंड सूख चुके बड़े तालाब में धोखे से हज़ारों की तादात में यहां आ गया था। इसके अलावा देवेंद्र ने पेंटेड स्परफाउल, सारस, क्रेन, पि_ा, कॉमन कूट सहित कई परिंदों के नायाब फोटो लिए हैं। इसके लिए देवेंद्र सुबह 6 बजे से पहले केरवा, कालियासोत, बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया बिशनखेड़ी, कठोतिया, कोलार डेम, हलाली और घोड़ा पछाड़ डेम किनारे पहुंच जाते हैं। इन दिनों हमारा स्टेट बर्ड दूधराज या पैराडाइज़ फ्लाई केचर बहुत दिखाई दे रहा है। परिंदे का सटीक फोटो लेने के बहुत सबर की ज़रूरत होती है। परिंदे का फोटो क्लिक करने के लिए बॉडी का अपडाउन मूवमेंट ऐसा रखना होता है कि परिंदे को आपका साइज़ बड़ा हुआ न दिखाई दे। पत्तों की खडख़ड़ाहट से भी परिंदा उड़ जाता है। इसके लिए पांव को घसीटते हुए चलना होता है। जंगल मे डार्क कलर के कपड़े नहीं पहने जाते। जंगल के बैक ग्राउंड जैसे धूसर कलर के कपड़े मुफीद होते हैं। परिंदों के अलावा देवेंद्र ने टी 1 बाघिन की चार पीढिय़ों को कैमरे में कैद किया है। वहीं कलिया सौत के मगर के जानदार फोटो इनके पास हैं। नेचर फोटोग्राफी के दौरान इनका सामना खतरनाक सांपों से होता रहता है। जंगली जानवरों और परिंदों की टेंडेंसी और आदतों के बारे में इनकी अच्छी रिसर्च है। आज नेचर फोटोग्राफी में देवेंद्र का भोपाल में नाम चलता है। नेचर फोटोग्राफी का इन्हें इत्ता जुनून है कि हफ़्ते में दो दिन ये जंगल मे ही बिताते हैं। देवेंद्र के मुताबिक जो सुकून परिंदों की कलरव में है वो और कहीं नहीं मिल सकता।
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