विदेश

अब तालिबान के समर्थन में आया ब्रिटेन, जॉनसन ने कही ये बात

लंदन। ब्रिटेन(Britain) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (PM Boris Johnson) ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो वो तालिबान (Taliban) के साथ भी काम करने को तैयार हैं. यही नहीं जॉनसन ने अपनी सरकार में विदेश मंत्री डोमिनिक(British Foreign Minister Dominic) राब का भी पक्ष लिया है. दरअसल काबुल(Kabul) के हालात को लेकर ब्रिटिश विदेश मंत्री डोमिनिक (British Foreign Minister Dominic) भी आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं.
बोरिस जॉनसन ने कहा-मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि अफगानिस्तान(Afghanistan) के हालात का हल तलाशने के लिए हम राजनयिक प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए अगर जरूरत पड़ी तो तालिबान के साथ काम भी करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि काबुल एयरपोर्ट के हालात अब सुधर रहे हैं. सरकार ने बीते शनिवार से अब तक 1615 लोगों को सुरक्षित निकाला है.


जो बाइडन की प्रेस कांफ्रेंस, कहा- बचाव अभियान जारी
वहीं शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी प्रेस काफ्रेंस की. उन्होंने कहा कि काबुल हवाई अड्डा पूरी तरह से नियंत्रण में है और वहां से नागरिकों को निकालने का काम लगातार जारी है. जो बाइडन ने कहा, ‘हम जुलाई से अब तक 18,000 से अधिक लोगों और 14 अगस्त से शुरू हुए सैन्य एयरलिफ्ट अभियान के बाद लगभग 13,000 लोगों को काबुल से निकाल चुके हैं.’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान से निकासी मिशन को खतरनाक बताते हुए कहा, ‘इसमें सशस्त्र बलों के लिए काफी जोखिम है और इसे कठिन परिस्थितियों में संचालित किया जा रहा है. मैं यह वादा नहीं कर सकता कि अंतिम परिणाम क्या होगा.’

तालिबान के खिलाफ विद्रोह तेज
तालिबान के हमले से अफगानिस्तान की जेलों में बंद इस्लामिक स्टेट के कैदियों के रिहा होने पर बाइडन ने चिंता जताई और कहा कि ये आतंकी बड़ा खतरा साबित होंगे. उधर, अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ विरोध तेज होगया है. विरोधी गुट ने तालिबान के कब्जे से बाघलान प्रांत के तीन जिलों को आजाद करा लिया है. इन जिलों के नाम हैं पोल-ए-हेसर, हेड सहाल और बानो. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस लड़ाई में कई तालिबान लड़ाके भी मारे गए हैं.

अंतरराष्ट्रीय संस्था ने जताई चिंता
इस बीच अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के प्रमुख आग्नेस कालामार्ड ने कहा है, ‘नृशंस हत्याएं तालिबान के पिछले रिकॉर्ड की याद दिलाती हैं और इस बात का भयावह संकेत हैं कि तालिबान का शासन होने पर क्या हो सकता है.’ संस्था ने चेतावनी दी कि हो सकता है कि हत्या के कई मामले सामने ही नहीं आए हों क्योंकि तालिबान ने अपने कब्जे वाले कई क्षेत्रों में फोन सेवाएं काट दी हैं ताकि लोग तस्वीरें प्रसारित नहीं कर सकें.

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