इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अब 35 की बजाय 2041 तक के इंदौरी मास्टर प्लान पर भोपाली मंथन

  • अभी विधानसभा, फिर लोकसभा चुनाव के साथ दावे-आपत्तियां, सुनवाई, कोर्ट-कचहरी के चलते प्रस्तावित प्लान दो साल तक लागू होने की संभावना नहीं, मेट्रो पोलिटन अथॉरिटी के प्रावधानों का भी भविष्य के प्लान में समावेश संभव

इंदौर, राजेश ज्वेल। प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्रालय ने कल इंदौर से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर साढ़े 5 घंटे तक समीक्षा की, जिसमें मुख्य रूप से इंदौर के प्रस्तावित मास्टर प्लान-2035, बायपास के कंट्रोल एरिया, टीडीआर, प्रेस कॉम्प्लेक्स सहित सोलर प्रोजेक्ट, ग्रीन बेल्ट की जमीनों सहित अन्य विषय शामिल रहे। अब इस बात पर भी मंथन शुरू किया गया है कि इंदौर का जो मास्टर प्लान 2035 तक के लिए बनाया जा रहा है, उसे अब बढ़ाते हुए 2041 तक के लिए किया जाए। अभी विधानसभा, उसके बाद लोकसभा चुनावों की आचार संहिता के चलते भी मास्टर प्लान को अमल में लाने की प्रक्रिया बाधित होगी, साथ ही प्रारूप प्रकाशन, उसके बाद दावे-आपत्तियों और फिर स्थानीय कमेटी के अलावा शासन स्तर पर सुनवाई की लम्बी प्रक्रिया, कोर्ट-कचहरी आदि के चलते 2035 का भी मास्टर प्लान आगामी दो सालों तक लागू होने की संभावना नजर नहीं आ रही है। लिहाजा अब इंदौर को मेट्रोपोलिटन अथॉरिटी के अधिकार के साथ भविष्य के मुताबिक उसका मास्टर प्लान तैयार किया जाए। हालांकि अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। मगर इंदौर में भी मास्टर प्लान की समीक्षा बैठक में महापौर सहित अन्य विशेषज्ञों ने भी इस बात पर जोर दिया था कि 2041 के प्लान पर फोकस किया जाना चाहिए।

इंदौर का वर्तमान मास्टर प्लान भी डेढ़ साल पहले 2021 में ही समाप्त हो गया है। मगर जब तक नया प्लान लागू नहीं होगा, तब तक इसी पर अमल किया जाता रहेगा। अभी 2035 के मास्टर प्लान की कवायद इंदौर से भोपाल तक चल रही है। नगर तथा ग्राम निवेश ने 79 गांवों को निवेश क्षेत्र में शामिल करते हुए 2035 के मास्टर प्लान का बेसमैप सर्वे करने के साथ अन्य तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं। कल इसकी जानकारी प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई के साथ हुई बैठक में प्रस्तुत की गई, वहीं कुछ दिनों पहले प्रमुख सचिव जब इंदौर आए थे, तब उनके समक्ष भी प्रस्तावित मास्टर प्लान को लेकर अब तक की गई तैयारियों की जानकारी प्रस्तुत की गई थीं। उसके साथ ही इंदौर उत्थान अभियान से जुड़े विशेषज्ञों ने उनके द्वारा भविष्य के मास्टर प्लान को लेकर जो तैयारी की उसकी जानकारी अध्यक्ष अजीतसिंह नारंग द्वारा दी गई थी।


उस बैठक में भी महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित अन्य विशेषज्ञों ने इस बात पर भी जोर दिया था कि 2035 तो जल्द आ जाएगा, क्योंकि अभी दो साल तक इंदौर के मास्टर प्लान को लागू होने की स्थिति नहीं है और अगर 2025 में यह मास्टर प्लान लागू हुआ तो सिर्फ 10 साल के लिए ही रहेगा। उसकी बजाय क्यों ना इसे 2041 या 2050 के मान से तैयार किया जाए, साथ ही यह सुझाव भी आए कि मास्टर प्लान को फ्लेग्जिबल बनाया जाए, ताकि उस समय के हिसाब से उसमें परिवर्तन भी किया जा सके। स्मार्ट सिटी, मेट्रो सहित एयरपोर्ट विस्तार सहित तमाम बड़े प्रोजेक्ट इंदौर में अभी या भविष्य में आना है, उसके मद्देनजर भी मास्टर प्लान में आवश्यक संशोधन के प्रावधान करना होंगे। वर्तमान मास्टर प्लान के मुताबिक निगम झोनल प्लान भी नहीं बना सका था, जिसके चलते तमाम विसंगतियां मौजूद रही। यहां तक कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के समक्ष भी मास्टर प्लान के सालभर पहले दिए गए प्रजेंटेशन के वक्त जनप्रतिनिधियों ने यह मांग की थी कि देवास, उज्जैन, धार, पीथमपुर को मिलाते हुए मेट्रोपोलिटन अथॉरिटी जैसी बॉडी बनाकर एक विस्तृत मास्टर प्लान तैयार किया जाए। वैसे नगर तथा ग्राम निवेश ने 2035 के प्लान की तैयारी लगभग पूरी कर ली है और अब अगर उसे आगे आने वाले वर्षों के मुताबिक बढ़ाया जाता है तो उसमें अधिक कवायद की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वैसे भी 2035 के प्लान को अमल में लाने में अभी कम से कम दो वर्ष का समय लग जाएगा। दूसरी तरफ शासन भी चुनावी वर्ष में मास्टर प्लान लाकर मुसीबत मोल नहीं लेना चाहता है।

बायपास का कंट्रोल एरिया साढ़े 22 मीटर पर सहमति
इंदौर बायपास के 45 मीटर के कंट्रोल एरिया को साढ़े 22 मीटर तक करने और शेष साढ़े 22 मीटर पर जमीन मालिकों को मिश्रित उपयोग के तहत अनुमति देने का प्रस्ताव शासन स्तर पर विचाराधीन है। कल प्रमुख सचिव द्वारा ली गई बैठक में इस पर भी चर्चा की गई, जिसमें नगर तथा ग्राम निवेश के साथ-साथ नगर निगम ने जो प्रोजेक्ट सर्विस रोड को फोर लेन करने का भिजवा रखा है उसकी जानकारी भी दी गई। चूंकि मुआवजे के बदले जमीन मालिकों को अतिरिक्त एफएआर का लाभ टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए दिया जा सकता है, उस पर भी विचार-विमर्श किया गया और शासन इस पर सहमत है कि कंट्रोल एरिया साढ़े 22 मीटर किया जाए। अब देखना है कि इस पर कब तक अमल हो पाता है।

भोपाल-उज्जैन के मास्टर प्लान पर ही बवाल
अभी पिछले दिनों भोपाल का मास्टर प्लान सालों की मशक्कत के बाद जारी किया गया, जिस पर अब दावे-आपत्ति की प्रक्रिया शुरू की गई। प्लान 2031 के लिए बनाया गया है, तो दूसरी तरफ उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर भी बवाल मचा और भाजपा के ही एक मंत्री पर करोड़ों रुपए की जमीनों के खेल करने के आरोप भी लगे, जिसके चलते मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करते हुए पुनर्विचार की घोषणा भी करनी पड़ी। खासकर सिंहस्थ मेला क्षेत्र को कम करने पर बवाल मचा है। यही कारण है कि इंदौर के मास्टर प्लान पर भी मुख्यमंत्री चुनाव के चलते कोई फैसला नहीं लेना चाहते हैं, क्योंकि घोटालों के आरोप लगेंगे ही।

प्रेस कॉम्प्लेक्स पर प्राधिकरण से बिन्दुवार जवाब मांगा
भोपाल में हुई इंदौरी विषयों की मैराथन बैठक में प्रेस कॉम्प्लेक्स का मुद्दा भी शामिल रहा। प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार ने जानकारी दी, जिस पर प्रमुख सचिव ने कहा कि शासन बिन्दुवार जानकारी मांगेगा, जिसमें मुख्य रूप से कितने प्रतिशत वाणिज्यिक उपयोग की अनुमति दी जा सकती है, के अलाावा अन्य बिन्दु रहेंगे। प्राधिकरण अब शासन से आने वाले बिन्दुवार पत्र का जवाब तैयार कर बोर्ड में रख मंजूर कर शासन को भेजेगा, क्योंकि यह मामला कैबिनेट से ही होना है। लिहाजा कानूनी और प्राधिकरण की लीज शर्तों के साथ-साथ अन्य तकनीकी पहलुओं का भली-भांति परीक्षण शासन स्तर पर करवाया जाएगा।

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