खरी-खरी

अब बेबस नारियों की इज्जत नहीं लूट सकेगी पुलिस

स्वयं पर स्वयं का अत्याचार और दुनिया कहती व्यभिचार…खुद को बेचने की विवशता से गुजरती नारी के दर्द की इंतेहा पर इंसाफ को तरस आया…सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले ने लाज लुटाती और पुरुष समाज के देह की भूख मिटाती नारियों को पकडऩे-धकडऩे, शर्मसार करने पर पाबंदी लगाते हुए पुलिस और कानून को उन्हें जलील करने पर नकेल लगा दी…अब कोई महिला देह व्यापार की अपराधी नहीं कहलाएगी… पुलिस अब उन्हें पकडक़र जलील नहीं कर पाएगी…उनकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी… वो मासूम और मजबूर समझी जाएंगी…समाज की निगाहों में वो गिरने से बच पाएंगी…यातनाएं झेलती नारी अब कम से कम इस यातना से तो मुक्त हो पाएगी कि खुद को लुटाकर अपने आंचल में जिस गंदगी को वो समेट रही है, वो ही उसे जलील करने पर तुल जाता है…यह कोई नहीं समझ पाता कि कितनी आतातायी होती है वो विवशता जब कोई नारी खुद को बेचकर अपना पेट पालने…अपने बच्चों की भूख मिटाने और जिंदा रहने की जुगत में खुद को खपाने की हद से गुजरती है…हर दिन अनजान और अनचाहे लोगों की बदबू को सहन करने और स्वयं को सौंपने की बेबसी को झेलती नारी को जमाना देह व्यापार का गुनहगार मानता है…कोई उसकी उस यातना को समझ नहीं पाता, जिसकी पीड़ा उसे कोड़ों से भी गहरा दर्द देती है…वो न चीख पाती है न चिल्लाकर अपना कष्ट बता पाती है…अपने आंसू पीती वो नारी न किसी की दया का पात्र बन पाती है और न रहम की उम्मीद रख पाती है…यह अत्याचार तब पीड़ा की सारी सीमाएं लांघ जाता है, जब कानून उसे मुलजिम बनाता है…पकड़े जाने पर उसे देह व्यापार का मुलजिम बनाया जाता है…किसी कमरे से निकालकर उसे जलील किया जाता है…उसका जुलूस निकाला जाता है…अपने पल्लू से चेहरा छुपाने की जुगत करने पर उसका आंचल खींच लिया जाता है…सारा जमाना इस कदर बेदर्द हो जाता है कि उसकी विवशता को सरेआम परिहास बनाया जाता है…अखबार के पन्नों पर उसकी नुमाइश की जाती है… पुरुषों की यातना सहन करने वाली नारियों को अपने ही गली-मोहल्ले के नर्क में झोंक दिया जाता है…हर आता-जाता उन पर उंगली उठाता है…सारा शहर उनके लिए बाजार बन जाता है…उनकी विवशता नीलाम हो जाती है…उनकी मजबूरी बाजारू बन जाती है…फिर वो लौटकर घर नहीं आ पाती हैं…लेकिन अब बरसों बाद इंसाफ को उनके अंदर का इंसान नजर आया…अब कोई महिला देह व्यापार की अपराधी नहीं मानी जाएगी…किसी अखबार या मीडिया में उसकी नुमाइश नहीं की जाएगी…कानून की नजरों में भी वो सम्मान पाएगी…उसकी पहचान आम नहीं की जाएगी…आबरू लुटाने वाली नारी अब बेआबरू नहीं की जाएगी…

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