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अब आसमान छू सकते हैं खाद्य तेल के दाम, इंडोनेशिया ने पाम ऑयल की सप्लाई पर लगाई रोक

नई दिल्ली। भारत (India) में पहले से ही खाने के तेल के दाम काफी ऊंचे स्तर पर हैं, जिससे लोगों पर महंगाई (Inflation in indonesia) की मार पड़ रही है। सरसों तेल के दाम काफी बढ़े हैं, सूरजमुखी का तेल रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सप्लाई बाधिन होने से महंगा हो गया है और अब इंडोनेशिया से एक ऐसी खबर आ रही है, जो आने वाले दिनों में भारत में खाने के तेलों के दाम और बढ़ा सकती है। दरअसल, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो(President Joko Widodo) ने शुक्रवार को पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यहां आपको बता दें कि पाम ऑयल को कई तरह के खाने के तेलों (Edible Oil) में मिलाया जाता है। यह बेहद सस्ता होता है, जिससे खाने के अन्य तेल भी ब्लेंडिग के बाद कुछ हद तक सस्ते हो जाते हैं। इसमें कोई महक नहीं होती, इसलिए यह किसी भी तेल के साथ आसानी से मिल जाता है।

इंडोनेशिया क्यों बंद कर रहा है पाम ऑयल निर्यात
इन दिनों इंडोनेशिया भारी महंगाई की मार झेल रहा है। ऐसे में गुरुवार को ही इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सैकड़ों लोगों ने खाने की चीजों की महंगाई के विरोध में प्रदर्शन किया है। ऐसे में घरेलू कमी को कम करने और आसमान छूती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए खाद्य तेल और उसके कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाएगा। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने शुक्रवार को यह घोषणा की। दिलचस्प है कि मलेशिया के कुल निर्यात का 4.5 फीसद हिस्सा केवल पाम ऑयल है, जिससे होने वाली आय का उसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है। यानी निर्यात रोकने से न केवल भारत को झटका लगेगा, बल्कि इंडोनेशिया को भी झटका लगेगा। यह प्रतिबंध अगले बृहस्पतिवार से लागू होंगे और अनिश्चित समय तक जारी रहेंगे। यानी भारत को अब पाम ऑयल से निर्भरता कम करनी होगी, क्योंकि अगर ये प्रतिबंध लंबा चला तो बड़ी दिक्कत हो सकती है।



इंडोनेशिया से कितना पाम ऑयल लेता है भारत
पाम ऑयल के उत्पादन में इंडोनेशिया दुनिया में नंबर-1 है और दूसरे नंबर पर है मलेशिया। कुछ अफ्रीकी देश भी इसका उत्पादन करते हैं। भारत सरकार भी अब पाम ऑयल उत्पादन पर जोर दे रही है और नेशनल मिशन एडिबल ऑयल के तहत 2025-26 तक भारत में पाम ऑयल का उत्पादन 3 गुना करने का लक्ष्य है। भारत सरकार इसके उत्पादन पर जोर दे रही है, क्योंकि सरसों तेल की तुलना में उतनी ही जमीन पर इसका उत्पादन करीब 3 गुना तक अधिक होता है। खाने वाले तेलों के मामले में भारत के आयात का दो तिहाई हिस्सा केवल पाम ऑयल है। मौजूदा वक्त में भारत करीब 90 लाख टन पाम ऑयल आयात करता है। इसमें से 70 फीसदी पाम ऑयल इंडोनेशिया से आता है, जबकि 30 फीसदी मलेशिया से आता है। यानी इंडोनेशिया के बाद अब पाम ऑयल के लिए भारत को मलेशिया पर निर्भरता बढ़ानी होगी, जिससे दामों में भी बढ़ोतरी होने की आशंका है।

क्या बिना पाम ऑयल के हम नहीं रह सकते?
पाम ऑयल को अधिकतर लोग सिर्फ खाने के तेल की तरह देखते हैं। वहीं कई लोग इसे खाने के तेलों में मिलाने में इस्तेमाल होने वाले तेल की तरह देखते हैं। ऐसे में बहुत से लोग ये सोच रहे होंगे कि क्या हम पाम ऑयल के बिना नहीं रह सकते? दरअसल, पाम ऑयल के और भी बहुत सारे इस्तेमाल होते हैं। शैम्पू, नहाने के साबुन, टूथपेस्ट, विटामिन की गोलियां, मेक-अप आइटम आदि में भी पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है। पेट्रोल-डीजल में जो जैविक ईंधन या बायो-फ्यूल मिलाया जाता है, वह दरअसल पाम ऑयल ही होता है। यानी गाड़ियों के चलने में भी पाम ऑयल का अहम रोल है। बिजली बनाने में भी पाम ऑयल का काफी हद तक योगदान है। पाम ऑयल दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय वनस्पति ऑयल है, जिसका इस्तेमाल दुनिया भर के करीब 50 फीसदी घरेलू उत्पादों में किया जाता है। उद्योंगों में भी इसका इस्तेमाल होता है। यानी एक बात तो तय है कि हमें पाम ऑयल की जरूरत है।

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