डेस्क: ईरान (Iran) ने पिछले कई सालों में अपने देश और पूरे क्षेत्र में ऐसी सैन्य ताकत (Military Strength) बनाई है, जो अमेरिका (America) को हमले से रोकने के लिए तैयार की गई थी, लेकिन अब जब अमेरिका खुद इजरायल (Israel) की लड़ाई में शामिल हो गया है तो ईरान के पास शायद अब इन हथियारों (Weapons) को रोककर रखने की कोई वजह नहीं बची है.
अमेरिका के हमले के बाद मिडिल ईस्ट में में मौजूद अमेरिकी ठिकानों पर हमले शुरू हो सकते हैं या तेल आपूर्ति के रास्तों को बंद करने की कोशिश हो सकती है. ये भी हो सकता है कि ईरान बची-खुची परमाणु तकनीक से जल्दी से परमाणु हथियार बनाने की ओर बढ़ जाए.
अगर ईरान ने हमला जारी रखने का फैसला किया तो उसके पास अमेरिका और उसके साथी देशों के कई नजदीकी ठिकाने हैं, जिन्हें वो मिसाइल और ड्रोन से आसानी से निशाना बना सकता है. अमेरिका और इजरायल के पास भले ही ज्यादा ताकतवर हथियार हों, लेकिन हर बार तकनीक से जंग नहीं जीती जाती. ये बात इतिहास में कई बार देखी जा चुकी है.
अगर ईरान जंग जारी रखता है तो इस जंग से तेल का ट्रांसपोर्ट रुक सकता है और दुनिया भर में डर और तनाव फैल सकता है. अमेरिका के हजारों सैनिक अभी कुवैत, कतर, बहरीन और यूएई में तैनात हैं. ये सब ईरान के बहुत करीब हैं. अगर ईरान इन ठिकानों पर ड्रोन या मिसाइल से हमला करता है तो इन ठिकानों को जवाब देने में बहुत कम समय मिलेगा.
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