- 9 अप्रैल को मैसूर में प्रधानमंत्री जारी करेंगे रिपोर्ट
भोपाल। मप्र फिर टाइगर स्टेट बनने की दहलीज पर खड़ा है। प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ पर 9 अप्रैल को मैसूर में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले साल हुई चार वर्षीय बाघ गणना की रिपोर्ट घोषित करेंगे। 2018 की गणना के बाद मध्य प्रदेश 526 बाघों के साथ टाइगर स्टेट के रूप में पहचान बना चुका है। इस बार भी मप्र की कड़ी टक्कर कर्नाटक से हो सकती है, क्योंकि कर्नाटक में 524 बाघ मिले थे। मप्र के जंगल में लगभग 700 वयस्क बाघ होने की संभावना है। अकेले बांधवगढ़ में 150 से ज्यादा बाघ होने की संभावना है। कान्हा में बाघों की संख्या 120 के पार बताई जा रही है। 2018 की गणना के दौरान जो 60 से ज्यादा शावक एक साल से कम के थे, वे भी 2022 की गणना का हिस्सा बने हैं। यही वजह है कि मध्य प्रदेश के टाइगर स्टेट का दर्जा कायम रहने की संभावना प्रबल नजर आ रही है।
पहले से ज्यादा बीट में बाघ
2014 की गणना में महज 714 बीट में 308 टाइगर देखे गए। 2018 में 1432 बीच में 526 टाइगर दिखाई दिए। 2022 की गणना में दो हजार से ज्यादा बीट में बाघ देखे जाने की जानकारी है। पिछली गणना में मप्र में 526 बाघ थे, जिनमें एक वर्ष के कम के 60 शावक गणना से छूट गए थे। टाइगर रिजर्व और सामान्य वन मंडलों में बाघ शावकों की संख्या लगभग 196 थी। इस तरह यह अनुमानित आंकड़ा 782 हो जाता है। 2019 से जून 2022 तक 125 बाघों की मौत हो गई थी, जिससे अनुमानित आंकड़ा 657 से ज्यादा हो सकता है।
इनका कहना है
इस बार की गणना में पिछली बार से ज्यादा वन बीटों में बाघ दिखाई दिए हैं। प्रदेश में बाघों की बेहतर संख्या होने का अनुमान है। कुछ दिन और धैर्य रखिए, पूरे आंकड़े सामने आ जाएंगे।
जेएस चौहान, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ मध्य प्रदेश, भोपाल।
यह हैं 2018 की गणना के परिणाम
मध्य प्रदेश (526), कर्नाटक (524), उत्तराखंड (442), महाराष्ट्र (312), तमिलनाडु (264), केरल और असम 190-190, उत्तर प्रदेश (173), राजस्थान (91), बंगाल (88), आंध्र प्रदेश (48), अरुणाचल प्रदेश (29), बिहार (31), ओडिशा (28), छत्तीसगढ़ (19), गोवा (3), झारखंड (5) कुल 2,967 बाघ भारत में पाए गए थे।