भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

6 कलेक्टरों से ‘Off-The-Record’ बात… अब गांव- गांव फैल गया Corona

  • मंत्रालय की वीसी, शहरों के उलझन से गावों के लिए फुर्सत ही नहीं

रामेश्वर धाकड
भोपाल। प्रदेश में अभी तक सिर्फ कोरोना (Corona Epidemic) महामारी से शहरों के विकट हालात दिखाई दे रहे हैं। जबकि कोरोना (Corona) ग्रामीण क्षेत्र में भी पसर चुका है। गांवों में जांच के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने की वजह से अभी ग्रामीण क्षेत्र के हालात नजर नहीं आ रहे हैं। जिला और संभागों के अधिकारी मंत्रालय (Ministry) की रोजाना होने वाली वीडियो कॉफ्रेंसिंग (Video conferencing), फरमान और शहरों में कोरोना नियंत्रण (Corona control) में उलझे रहते हैं। उनके पास शहर से बाहर निकलकर गांवों की स्थिति देखने का समय भी नहीं है। सरकार ने जिन जनप्रतिनिधियों को कोरोना नियंत्रण (Corona control)  का दायित्व सौंपा है, वे भी सिर्फ बैठकों तक सीमित हैं। प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिलों के कलेक्टरों (Collectors) ने नाम न छापने की शर्त पर वस्तुस्थित बयां की है। जो चिंतित करने वाली है।
जिले के प्रशासनिक अफसरों का दिनभर का समय रोजाना मंत्रालय से होने वाली वीडियो कॉफ्रेेंस, रेमडेसिविर इंजेक्शन का वितरण, ऑक्सीजन की व्यवस्था, दवाओं का वितरण, कानून-व्यवस्था और स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं कार्यालय बैठकों में बीत रहा है। विपरीत हालात में भी जनप्रतिनिधि ऐसे कामों की सिफारिश कर रहे हैं, जो मौजूदा हालात में कतई अति आवश्यक नहीं है। सभी कलेक्टरों ने स्वीकारा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बीमारी का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य अमला शहरों में कोविड नियंत्रण में जुटा है। ग्रामीण क्षेत्र में भी मेडीकल सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। एक जिले के कलेक्टर को ग्रामीण क्षेत्र में बीमारी फैलने और मौतें होने की सूचना एक हफ्ते पहले दी गई, लेकिन कलेक्टर प्रभावित गांवों में एक स्वास्थ्य कर्मचारी भी नहीं भेज पाए। कलेक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंस में मिली रिपोर्ट के बाद अब सरकार भी चेती है। अब सरकार ने गांवों मेें कोरोना नियंत्रण के लिए टीमें बनाने का ऐलान किया है।

ऐसी है जिलों में स्थिति
प्रदेश में कोरोना के हालात सिर्फ बड़े शहर भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और ग्वालियर की भयाभय स्थिति से देखकर लगाए जा रहे हैं। जबकि छोटे जिलों में स्थिति ठीक नहीं है। छोटे जिलों में शहरों से ज्यादा खतरा गांवों में है। इन जिलों में पहले से स्वास्थ्य अमला स्वीकृत संख्या से आधा है। ऐसे में यहां बड़ी मुश्किल हो रही है। जांचें भी सीमित हो रही हैं। एंबुलेंस सेवा भी सिर्फ शहरों तक सिमट गई है। कुछ कलेक्टरों ने गांवो में झोलाझाप डॉक्टरों की मदद लेना शुरू कर दिया है। उन्हें दवाईंयों के वितरण के लिए लगाया गया है। कलेक्टरों ने माना कि गांवों में बीमारी का खतरा काफी बढ़ा है। ऐसे में मौतों की खबरें भी आ रही हैं।

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