भोपाल । ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष में 10 जून को 16 दिन में दूसरा ग्रहण होगा। ज्योतिषियों (astrologers) का कहना है यह ग्रहण 148 साल बाद वक्री शनि के साथ कंकणाकृति का होगा, हालांकि इसका भारत व राशियों पर असर नहीं होगा। वहीं शनि की साढ़ेसाती (Shani Ki Sadhesati) ढैय्या या फिर शनि की महादशा हर व्यक्ति को जीवनकाल (Life span) में कम से कम एक बार इसका सामना जरूरत होता है। बताते हैं कि न्याय के देवता शनि हर किसी को कर्मों के हिसाब से शुभ और अशुभ प्रभाव देते हैं, जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल शनिदेव उसको देते हैं।
शनिदेव की साढ़ेसाती
ज्योतिषियों के मुताबिक जब शनिदेव राशि में परिवर्तन करते हैं उसे ही साढ़ेसाती कहा जाता है। शनिदेव की हर चाल का असर सभी 12 राशियों पर होता है। शनिदेव काफी धीरे चलते हैं। इनका राशि परिवर्तन भी अन्य की तुलना में कम होता है।
ज्योतिषियों का कहना है कि अगले साल 29 अप्रैल 2022 को शनिदेव का राशि परिवर्तन होगा। इस दिन वे मकर राशि से निकलकर कुंभ में गोचर करेंगे।
इन राशि वालों पर होगा असर
इस दिन से मीन राशि वालों पर शनि की साढ़े साती शुरू हो जाएगी। मीन राशि पर साढ़ेसाती शुरू होते ही कुंभ व मकर राशि वालों पर भी इसका प्रभाव रहेगा। इसके अलावा धनु राशि वालों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिल जाएगी। साथ ही इस दौरान कर्क व वृश्चिक राशि वालों पर ढैय्या शुरू हो जाएगी।
शनि की साढ़ेसाती से बचने के जानिए उपाय
शनि की साढ़ेसाती (Shani Ki Sadhesati) ढैय्या या फिर शनि की महादशा हर व्यक्ति को जीवनकाल में कम से कम एक बार इसका सामना जरूरत होता है यह बदलाव अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी, किन्तु अगर शनि की साढ़ेसाती से अशुभ मिलने वाले हों तो ऐसी स्थिति में परेशानियों से बचने के लिए आपको क्या-क्या उपाय करने चाहिए, इस बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं। Share: