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हिंसा और आपात स्थितियों का शिकार महिलाओं के लिए संजीवनी बना वन स्टॉप सेंटर

नई दिल्ली। हिंसा (women violence) और आपात स्थितियों का शिकार महिलाओं के लिए वन सटॉप सेंटर- (OSS) संजीवनी बन गया है। कोरोनाकाल (Corona Era) में संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के मध्य अब कैसी भी आपात स्थिति में महिलाएं सीधे ओएसएस पहुंच कर मदद ले सकती हैं।

देश में अब तक इन केंद्रों की मदद से आपात स्थितियों में फंसी तीन लाख से ज्यादा महिलाओं की सहायता की है। इस योजना (Plan) में हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एकीकृत सहायता (Integrated support) से लेकर रहने तक की सुविधा दी जाती है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) एक अप्रैल 2015 से इस योजना को पूरे देश में राज्यों की सहायता से लागू की जा रही है। इसका मकसद हिंसा की शिकार महिलाओं को एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं दी जा रही हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा के विरुद्ध लड़ने के लिए उसे पुलिस चिकित्सा, कानूनी सहायता, परामर्श, मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग (Psychological counseling) के लिए कई सेवाओं के लिए तत्काल आपातकालीन और गैर-आपातकालीन पहुंच सुनिश्चित की जाती है।

इसमें सबसे ज्यादा 75 सेंटर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हैं, इसके बाद मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में 52, बिहार (Bihar) में 38, असम (Asam) में 33, महाराष्ट्र में 37 और गुजरात में33 ओएसएस काम रहे हैं। कोरोना महामारी के संक्रमण काल के हालातों में हिंसा की शिकार और संकट में फंसी महिलाएं त्वरित सहायता के लिए निकटतम ओएसएसी से सीधे संपर्क कर सकती हैं।

इसके लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यसचिवों, प्रशासकों और सभी जिलों के डीसी तथा जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है।


इन निर्देशों में कहा गया है कि वह लॉकडाउन की अवधि के दौरान भी इन वन स्टॉप सेंटरों को चालू रखें, इसमें कोरोना बचाव के सभी प्रोटोकॉल का इंतजाम किया जाए, जैसे सैनिटाइजर, मास्क, हैंडवॉश आदि जिससे आपात स्थितियों में महिलाओं को कोरोना संक्रमण से सुरक्षा और सहायता दोनों प्राप्त हो सकें।

योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार इन केंद्रों में 24 घंटे 7 दिन महिलाओं की सहायता के लिए कानूनी परामर्श, चिकित्सा सहायता, मनो-सामाजिक परामर्श आदि उपलब्ध रहेंगे। राज्य इन सेवाओं को प्रदान करने के लिए पैनल में शामिल एजेंसियों की सेवाएं और सहायता के लिए योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति और चयन प्रक्रिया को अंजाम देंगे।

निर्भया कांड के बाद आपात स्थितियों और हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए त्वरित सहायता और न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए इन वन स्टॉप सेंटरों की परिकल्पना की गई थी। इस सरकार ने अब तक इसके लिए 311.14 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया है।

इस स्कीम के तहत हिंसा की पीड़ित महिलाओं को सभी तरह की सहायताएं एक ही छत के नीचे एक साथ मिलती है, इन केंद्रों को अस्पतालों में चलाया जाता है।

इन केंद्रों में दुष्कर्म, लैंगिग हिंसा, ट्रैफिकिंग, एसिड विक्टिम, दहेज संबंधित हिंसा, सती, बाल यौन शोषण, बाल विवाह, भ्रूण हत्या जैसे मामलों की पीड़िता को यहां सहायता मिल सकती है। इसकी केंद्र की मदद लेने के लिए महिलाओं के लिए राज्य और केंद्र सरकार हेल्प लाइन चलाती हैं।

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