इंदौर न्यूज़ (Indore News)

पटवारी की सीट नहीं बदलेगी, शुक्ला और पटेल भी पुरानी सीटों पर लड़ेंगे चुनाव

  • – पटवारी अभी भी चाह रहे कालापीपल से चुनाव लडऩा
  • – लेकिन राऊ में कांग्रेस के पास कोई दमदार उम्मीदवार नहीं

इंदौर (Indore)। कांग्रेस की पहली सूची परसों, यानी नवरात्रि के पहले दिन आना है। इस सूची में वर्तमान विधायकों के नाम तय हैं। करीब डेढ़ सौ नाम एक साथ घोषित होने की संभावना है। इनमें वर्तमान विधायक भी शामिल हैं। वैसे सभी 109 विधायकों के नाम सूची में शामिल नहीं किए जाएंगे। पटवारी, जो कालापीपल सीट पर जाना चाह रहे थे, पार्टी उन्हें फिर से राऊ विधानसभा में ही उतारेगी और शुक्ला तथा पटेल की सीट भी यथावत रहेगी। 15 अक्टूबर से मतदान के 32 दिन बचेंगे। कांग्रेस चाह रही है कि अधिक से अधिक टिकटों की घोषणा कर दी जाए, ताकि कांग्रेस भी मैदान में दिखना शुरू हो जाए। फिलहाल प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं होने के कारण कांग्रेस में चुनावी माहौल नहीं बन पा रहा है।

छत्तीसगढ़ की बैठक होने के बाद आज मध्यप्रदेश के नामों को लेकर दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होने की संभावना है। इसके बाद फाइनल नामों पर मुहर लगा दी जाएगी। इंदौर के तीनों वर्तमान विधायकों के नाम तय हैं और उन्हें उनकी वर्तमान सीट से ही चुनाव लड़ाया जाएगा। जीतू पटवारी जरूर बीच में कालापीपल सीट से उतरने का मन बना चुके थे। राऊ में वे अपने भाई भरत पटवारी और पत्नी को भी सक्रिय किए हुए थे, लेकिन अब कहा जा रहा है कि वे अपनी पुरानी सीट से ही चुनाव लडऩे वाले हैं।


कांग्रेस पटवारी को कालापीपल से चुनाव लड़ाकर खाती बहुल सीट को अपने कब्जे में लेना चाहती है। राऊ विधानसभा की बात की जाए तो यहां से कांग्रेस के पास कोई दमदार उम्मीदवार नहीं है। भाजपा ने उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी मधु वर्मा को ही यहां से उतारा है, जो सर्वे में अव्वल आए थे। संजय शुक्ला एक नंबर सीट से ही दावेदारी बनाए बैठे हैं तो देपालपुर से विधायक विशाल पटेल भी अपना नाम मजबूती से मान रहे हैं। वैसे यहां कांग्रेस से दुग्ध संघ अध्यक्ष मोतीसिंह पटेल अभी भी दमदारी से लगे हुए हैं। कांग्रेस की इन सीटों को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी सीटों पर पैनल बना दिए गए हैं, जिस पर दूसरे दौर की चर्चा भी हो गई है और जल्द ही कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति इनके नामों की घोषणा कर देगी। जिन सीटों पर कांग्रेस लगातार हार रही है, वहां मजबूत नाम उतारने की भी चर्चा है। हालांकि इंदौर में भाजपा की कई सीटें ऐसी हैं, जो सालों से भाजपा के खाते में हैं, जिन पर कांग्रेस का कब्जा होना एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ सकता है।

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