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श्रीलंका: चीन के खिलाफ भी लोगों में उबाल, मंत्री बोले- ‘ठग राजनीति’ कतई बर्दाश्त नहीं, लगे ‘गो होम गोटा’ के नारे


कोलंबो। श्रीलंका में दशकों के सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच जहां जरूरी चीजों की मूल्यवृद्धि के विरोध में राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन चल रहे हैं वहीं 50 से ज्यादा सांसदों द्वारा सत्तारूढ़ गठबंधन से हाथ खींचने के बावजूद श्रीलंकाई मंत्री ने कहा है कि राष्ट्रपति किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देंगे। हालांकि राष्ट्रपति गोतबाया ने 1 अप्रैल को देश में लगाया आपातकाल मंगलवार देर रात वापस ले लिया है।

दरअसल, कर्ज संकट में डूबे श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के चलते आयात का भुगतान तक मुश्किल हो गया है। ऐसे में देशभर में राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनों और दर्जनों सांसदों द्वारा सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर होने पर अपनी अल्पमत सरकार को लेकर राष्ट्रपति इस समय जबरदस्त दबाव में हैं।

इस बीच, सरकार के मुख्य सचेतक (व्हिप) मंत्री जॉनस्टन फर्नांडो ने संसद में असंतुष्ट नेताओं के ‘गो होम गोटा’ नारे पर कहा, सरकार संकट का सामना करेगी लेकिन इसके लिए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा, विपक्षी दल हिंसा भड़का रहे हैं, लेकिन देश में ‘ठग राजनीति’ कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बता दें, श्रीलंकाई नागरिक ईंधन, बिजली, भोजन व दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं।

चीन के खिलाफ भी लोगों में उबाल
लगातार गहराते आर्थिक संकट के बीच देश में चीन के खिलाफ भी लोगों में उबाल बढ़ता जा रहा है। श्रीलंकाई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार के पास पैसा नहीं है, क्योंकि उसने चीन को सब कुछ बेच दिया है। चीन दूसरे देशों को उधार देकर उनका सब कुछ खरीद ले रहा है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास तक एक रैली भी निकाली और मांग की कि वे तुरंत पद छोड़ें ताकि नई सरकार नए फैसले ले सके।


गिर सकती है सरकार
सत्तारूढ़ गठबंधन ने वर्ष 2020 में हुए आम चुनावों में 150 सीटें जीती थीं लेकिन अब देश में आए संकट के बाद 50 से ज्यादा सांसदों ने उनसे समर्थन वापस ले लिया है। अब राजपक्षे सरकार के सांसदों की संख्या 113 से भी कम हो गई है जिसके बाद सरकार के बने रहने पर बादल मंडरा रहे हैं। गौरतलब है कि श्रीलंका के सदन में 225 सदस्य होते हैं। ऐसे में अल्पमत में आई गोतबाया सरकार को लेकर संसद में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है।

होटल और पर्यटन उद्योग को दोगुनी मार
श्रीलंका में होटल और पर्यटन उद्योग मौजूदा आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कोलंबो के कोर्ट होटल एंड स्पा के जीएम केविन के अनुसार इस संकट में उनको दोगुनी मार पड़ रही है। इसका मुख्य कारण बिजली कटौती, ईंधन की कीमतों में वृद्धि व जरूरी चीजों की कमी होना है। इस कारण कोई भी पर्यटक होटलों में जा नहीं रहा है और इस उद्योग ने एक बड़ा बाजार खो दिया है।

दवाएं ही नहीं, कई रसायनों की भी कमी
प्रदर्शनकारियों ने बैनरों पर लिखा था, लोगों के जीने का अधिकार मजबूत करें… स्वास्थ्य आपातकाल का एलान करें। इस बीच, हजारों कैंसर रोगियों का इलाज करने वाले सरकारी अस्पताल में काम करने वाली मलका समरथना ने कहा कि न सिर्फ दवाएं बल्कि परीक्षण में इस्तेमाल होने वाले रसायनों की भी कमी है। जो मरीज कीमोथैरेपी पर हैं हमें उनकी सावधानीपूर्वक निगरानी करनी होगी, अन्यथा हम आगे का रास्ता तय नहीं कर सकते।

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