भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

आजीविका मिशन में करोड़ों के भ्रष्टाचार के फैसले से पहले याचिकाकर्ता ने बदला वकील

  • कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिया खुद पैरवी करने का ऑफर

भोपाल। मप्र आजीविका मिशन में भर्ती नियुक्ति समेत भ्रष्टाचार के मामलों से जुड़े प्रकरण में मप्र हाईकोर्ट में फैसला आने से पहले याचिकाकर्ता ने वकील बदल दिया है। कोर्ट की सुनवाई पूरी होने से पहले ही याचिकाकर्ता ने वकील से एनओजी लेकर केार्ट को अवगत करा दिया। जिस पर कोर्ट ने फैसला आने से पहले अगली सुनवाई में खुद पैरवी करने का ऑफर दे दिया है। आजीविका मिशन में भ्रष्टाचार एवं अवैध नियुक्ति के मामले में आईएएस नेता मारव्या की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं होने पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए थे।

याचिकाकर्ता भूपेन्द्र प्रजापति ने बताया कि केस की पैरवी कर रहे वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर कोर्ट के सामने सही तथ्य नहीं रख रहे थे। प्रजापित ने कहा कि उन्होंने आजीविका मिशन के भ्रष्ट अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ कोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसमें उन्होंने बेलवाल के खिलाफ उन 36 शिकायतों को भी शामिल किया, जो उन्होंने लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू, सीएमओ, पीएमओ समेत अन्य एजेंसी केा की थीं, लेकिन इन एजेेंसियों ने बेलवाल को ही जांच सौंप दी थी। वकील कोर्ट को बता रहे थे कि आजीविका मिशन की शिकायतों को लोकायुक्त ने भी बंद कर दिया है।



जबकि कोर्ट को यह बताना था कि सभी एजेंसियों ने बेलवाल से ही शिकायतों की जांच कराई थी। जबकि आरोप खुद बेलवाल पर ही थे। प्रजापति ने यह भी बताया कि जो वकील इस केस की पैरवी कर रहे थे, वे ओबीसी मामले में मप्र सरकार के वकील भी है। ऐेसे में उन्होंने तत्काल वकील से केस से हटने की एनओसी लेकर कोर्टको अवगत करा दिया है। कोर्ट ने उन्हें खुद पैरवी करने की छूट दे दी है। हालांकि अगली सुनवाई में वरिष्ठ वकील पैरवी के लिए खड़े होंगे। प्रजापित ने कहा कि यदि कोर्ट का फैसला भी आता है तो फिर रिवीजन बैंच में जाएंगे। इधर आजीविका मिशन के केस से जुड़े वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कहा कि केस बंद हो चुका है। फैसला रिजर्व रख लिया है। वकील ठाकुर ने पैरवीकार द्वारा केस से हटाए जाने से भी इंकार किया है।

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