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भारत में विदेश से आ रहे पैसों से पल रहा PFI, तुर्किये ISI की मदद से कर रहा फंडिंग

नई दिल्ली। देश (country) में कट्टरता फैलाने (spreading extremism) के मंसूबे में जुटा पीएफआई (PFI) विदेश से आ रहे पैसों पर पल रहा। भारतीय खुफिया एजेंसियों (Indian intelligence agencies) और एनआईए की जांच (NIA investigation) में खुलासा हुआ है कि तुर्किये (तुर्की) की सरकारी खुफिया एजेंसी नेशनल इंटेलिजेंस ऑर्गेनाइजेशन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) की मदद से पीएफआई और उनके कारकुनों को फंडिंग कर रही थी। इसका इस्तेमाल टेरर फंडिंग (terror funding) में किए जाने के भी सबूत मिले हैं।

यूपी एसटीएफ और एनआईए को इस खेल की जानकारी हाथरस कांड और सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान ही मिल गई थी। इन मामलों में पीएफआई के कई नेताओं की गिरफ्तारी के बाद उनसे हुई पूछताछ में इसके सबूत हाथ लगे थे। लेकिन इसकी कड़ियां जोड़ने में करीब एक साल से ज्यादा का वक्त लग गया। फंडिंग की जांच में पता चला कि ओमान के जरिए भारतीय बैंक खातों में रकम भेजी गई। बैंकों से मिले सुराग के आधार पर मनी ट्रेल के जरिए छापेमारी का आधार मिला।


खुफिया एजेंसियों को मिले पुख्ता सबूत
आतंकी फंडिंग से जुड़े मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि देश में पैसे भेजने के लिए खाड़ी देशों में काम करने वाले मजदूरों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया जाता है। ये मजदूर भारत में अपने रिश्तेदारों को रकम भेजते थे। बदले में उन्हें हवाला के जरिए मोटा कमीशन दिया जाता था। भारत में तुर्किये की खुफिया एजेंसी के लोग इस पैसों को खाते से निकलवाकर पीएफआई तक पहुंचा देते थे।

100 करोड़ रुपये के लेन-देन का पता चला
उधर, ईडी के अधिकारियों ने बताया कि जांच में पीएफआई के बैंक खातों में करीब 100 करोड़ के संदिग्ध लेन-देन का पता चला। यह जानकारी भी मिली कि पीएफआई को हवाला के जरिए भी रकम पहुंचाई जा रही थी। साथ ही कुछ फर्जी कंपनियों के माध्यम से भी लेन-देन हुआ है।

देश में इस्लामिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पीएफआई से जुड़े कुछ अभियुक्तों के खाते में सीधे रकम पहुंचाने की भी जानकारी मिली। ईडी ने जांच के बाद पीएफआई के पांच सदस्यों के खिलाफ लखनऊ की स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट भी दायर की है।

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