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पीएम जनमन: कमजोर जनजातीय समूहों के लिए आशा की सबसे बड़ी किरण

– अर्जुन मुंडा

“जनजातीय सशक्तिकरण, गौरवशाली भारत” के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने विगत दशक के कार्यकाल में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे अतुलनीय हैं। आजादी के बाद सरकारें तो बदलती थीं पर उनके एजेंडे में अनुसूचित जनजातीय समाज दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आता था। देश आगे बढ़ता गया और जनजातीय समाज वहीं का वहीं रह गया। मूलभूत सुविधाओं की कमी और राजनीतिक उपेक्षाओं के कारण जनजातीय समाज मुख्यधारा से दूर रह गया। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनजातियों के हित में सोचा और अलग से जनजातीय मंत्रालय का गठन किया। उस काम को प्रधानमंत्री मोदी तेजी से आगे ले गए। जनजातीय समाज को राजनीतिक एवं सामाजिक ढंग से सशक्त करना यदि किसी मायने में कोई कर पाया है तो वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है।


प्रधानमंत्री मोदी का चिंतन हमेशा ऐसी योजनाओं को धरातल पर लाने का होता है, जिनका मूलभूत उद्देश्य पिछड़े और अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति को न्याय, समानता और मौलिक अधिकार दिलाना हो । इसी सोच के साथ प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि से जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर महाअभियान “प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन)” का शुभारम्भ किया । यह एक ऐसी परियोजना है जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी । हमारी सरकार ने देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 23 हजार से ज्यादा गांवों में रह रहे ऐसे 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों की पहचान की, जो आदिवासियों में भी सबसे पीछे रह गए आदिवासी हैं, जिन्हें आजादी के 75 साल बाद भी मूल सुविधाएं प्राप्त नहीं हुई हैं । ‘पीएम जन मन’ के इस महान अभियान के माध्यम से भारत सरकार इन समुदायों पर 24 हजार करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है । पीवीटीजी समुदाय अकसर वन क्षेत्रों के सुदूर और दुर्गम बस्तियों में रहते हैं । पीएम जन मन अभियान को आरम्भ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ”सरकारें पहले आंकड़ों को जोड़ने का काम करती थी लेकिन मैं आंकड़ों को नहीं बल्कि जिंदगी को जोड़ना चाहता हूं।” यह प्रधानमंत्री जी की जनजातीय समुदायों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है ।

प्रधानमंत्री के संकल्प को गति देते हुए भारत मंडपम, दिल्ली में पीएम-जनमन के कार्यान्वयन के लिए विस्तृत कार्य योजना को अंतिम रूप देने के लिए मंथन शिविर का आयोजन कर योजना के क्रियान्वयन एवं रोड मैप पर चर्चा की गई । जनजातीय मंत्रालय ने पीएम-जनमन के तहत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती ‘सुशासन दिवस’ के अवसर पर 25 दिसंबर से देश के जनजातीय बाहुल्य जिलों में पीवीटीजी परिवारों तक पहुंचने के उद्देश्य से, सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अभियान की शुरुआत की है । पिछले तीन सप्ताह में मंत्रालय द्वारा 100 से अधिक जिलों में 8000 से अधिक कैंप लगाए गए, जिनमें आवश्यक दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, जनधन खाते आदि खोले जा रहे हैं, ताकि उन्हें आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना जैसी योजनाओं से वंचित लोगों को इसका लाभ मिल सके।

विभिन्न मंत्रालयों द्वारा विगत दो माह में पीएम जनमन के तहत 4700 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं । ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा एक लाख लाभार्थियों को पक्के घर और 400 से अधिक पीवीटीजी बाहुल्य बसाहटों में 1200 किलोमीटर सड़कें बनाने की स्वीकृति दे दी गई है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा 100 छात्रावास, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 916 आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 100 मोबाइल मेडिकल यूनिट, जनजातीय मंत्रालय द्वारा 450 मल्टीपर्पज सेंटर और 405 वनधन केंद्र, विद्युत मंत्रालय द्वारा 6500 से ज्यादा टोलो में 70000 से ज्यादा घरों में बिजली की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। जल जीवन मिशन के अंतर्गत भी हर घर नल पहुंचाने का कार्य भी तेजी से चल रहा है। जनजातीय समुदायों के उत्थान के उद्देश्य से एक परिवर्तनकारी पहल में, ट्राइफेड ने फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी), एग्री बिजनेस, पेपरबोर्ड और पैकेजिंग में विशेषज्ञता रखने वाले एक प्रमुख भारतीय समूह आईटीसी के साथ एक रणनीतिक साझेदारी बनाई है। यह सहयोग न केवल जनजातीय समूहों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ाने बल्कि घरेलू और वैश्विक स्तर पर उनके उत्पादों की बाजार पहुंच का विस्तार करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

यह संयुक्त पहल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, मेघालय और झारखंड में 60 वन धन विकास केंद्रों को लक्षित करते हुए एक अग्रणी पायलट परियोजना शुरू करने के लिए तैयार है। ये केंद्र विशेष रूप से अति पिछड़े जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) सहित स्थानीय जनजातीय समुदायों को हल्दी जैसे उत्पादों के मूल्य को बढ़ाने में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिससे बेहतर पारिश्रमिक हासिल किया जा सकेगा। वन धन विकास केंद्रों में अपनी व्यापक भागीदारी के साथ, कच्ची जैविक हल्दी की खरीद के लिए 15,000 से अधिक आदिवासियों के एकत्रीकरण की सुविधा प्रदान करने के लिए ट्राइफेड अग्रसर है। ट्राइफेड जैविक प्रमाणीकरण और ई-कॉमर्स प्रयासों के लिए वित्त पोषण का नेतृत्व करेगा, जबकि आईटीसी अपने स्थापित ग्राहक नेटवर्क के भीतर जैविक हल्दी को एक उप-ब्रांड के रूप में एकीकृत करेगा।

बेहतर आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने की एक अन्य पहल में, ट्राइफेड हंगरी, घाना, हांगकांग, साइप्रस, बांग्लादेश, नेपाल, ऑस्ट्रिया, वियतनाम, मॉरीशस, पोलैंड, लुसाका, संयुक्त अरब अमीरात और सेशेल्स में भारतीय दूतावासों को 10-15 पीवीटीजी उत्पादों की एक खेप भेज रहा है। क्यूआर कोड के साथ उत्पादों को विदेशों में इन भारतीय दूतावासों और मिशनों में प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विपणन मंच तैयार होगा। क्यूआर कोड को स्कैन करने पर, ग्राहकों को ट्राइफेड के समर्पित निर्यात पोर्टल, www.tribesindia.org पर निर्देशित किया जाएगा। यह पहल न केवल पीवीटीजी शिल्प कौशल को बढ़ावा देती है बल्कि विदेशों में भारतीय मिशनों के माध्यम से इन उत्पादों की मांग को भी प्रोत्साहित करती है। ट्राइफेड का प्रयास न केवल आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है बल्कि इन आदिवासी समुदायों द्वारा तैयार किए गए अद्वितीय उत्पादों के लिए वैश्विक उपस्थिति भी स्थापित करता है। परंपरा और नवीनता का मिश्रण अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को आकर्षित करने और आत्मनिर्भर भारत की व्यापक दृष्टि में योगदान करने के लिए तैयार है।

एक हजार स्प्रिंग्स पहल के अंतर्गत जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा पीवीटीजी बाहुल क्षेत्रों में सुरक्षित और पर्याप्त पानी तक पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से 100 जिलों के जनजातीय क्षेत्रों में 1000 प्राकृतिक झरनों को पुनर्जीवित करने का काम किया जाएगा। इस पहल के अंतर्गत जल शक्ति मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ तालमेल से इन क्षेत्रों के लोगों में इस विषय के प्रति जागरूकता पैदा करना, जनजातीय युवाओं को पैरा-हाइड्रोलॉजिस्ट के रूप में कौशल प्रदान करना, आदि शामिल होगा।

जनजातीय समूहों को देश की मुख्यधारा में सम्मिलित करने के लिए 22 जून को एक ऐतिहासिक कदम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में 75 पीवीटीजी समुदाय के अतिथियों का अभिनंदन किया। उनमें से बहुत से जनजातीय भाई-बहन ऐसे थे जो पहली बार जंगल और गांव से बाहर निकले और शहर आए। जब उन्होंने राष्ट्रपति से बातचीत की और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें संबोधित किया तो सत्ता के गलियारे इन हाशिए पर मौजूद समुदायों की आवाज़ से गूंज उठे। इस अभूतपूर्व आयोजन ने न केवल पीवीटीजी के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को स्वीकार किया, बल्कि उन्हें एक सशक्त मंच प्रदान करने की प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित की, जहां उनकी चिंताओं को सुना जाएगा और उन पर कार्रवाई की जाएगी।

पीएम जनमन अभियान, जनजातीय गौरव दिवस समारोह, विकसित भारत संकल्प यात्रा, राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में 75 पीवीटीजी के सदस्यों को निमंत्रण और उनसे व्यापक बातचीत, देश के गरीब, वंचित और पीड़ितों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता की एक व्यापक तस्वीर पेश करती है। जैसे जैसे राष्ट्र इस नए परिवर्तन को अपना रहा है, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की कही बात याद आ रही है, “हमारी यात्रा लंबी है, लेकिन हमारा संकल्प दृढ़ है। हम साथ मिलकर एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं जहां कोई भी समुदाय पीछे नहीं रहेगा, और हर भारतीय राष्ट्र की प्रगति में बराबर का भागीदार होगा ।

(लेखक, केंद्रीय जनजातीय कार्य और कृषि एवं किसान कल्याणमंत्री हैं।)

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