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श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी, 406 साल पुराने मंदिर पर विवादों का साया

मथुरा । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)के मथुरा का मुद्दा (Issue)एक बार फिर गरमा गया है। 406 साल पुराने मंदिर विवाद (temple controversy)भी काफी गहरा है। ओरछा राजा ने मंदिर का निर्माण (construction of temple)कराया तो मुगल शासक ने इसे ध्वस्त कर वहां पर मस्जिद का निर्माण करा दिया। इसके बाद से विवाद लगातार गहराता रहा है। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे का आदेश जारी कर दिया है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही मस्जिद विवाद अब एक अलग दिशा में जाता दिख रहा है। हिंदू पक्ष की ओर से जहां इस आदेश से विवाद का समाधान निकलने की बात कही जा रही है। वहीं, मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने की तैयारी में है। ऐसे में मंदिर पर विवाद का इतिहास भी याद किया जाने लगा है।

जन्मभूमि मंदिर पर गहरा है विवाद का इतिहास


पौराणिक इतिहास के मुताबिक 5,132 साल पहले भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा कंस के मथुरा कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस स्थान को कटरा केशवदेव के नाम से जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के विश्वभर में भक्त हैं। 1618 ईसवीं में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने जन्मभूमि मंदिर निर्माण कराया था। इसे मुगल शासक औरंगजेब ने ध्वस्त कर शाही मस्जिद ईदगाह का निर्माण कराया। इसके बाद गोवर्धन युद्ध के दौरान मराठा शासकों ने आगरा-मथुरा पर आधिपत्य जमा लिया। मस्जिद हटा कर श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण करवाया गया।

इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन आ गया। ब्रिटिश सरकार ने सन् 1803 में 13.37 एकड़ जमीन कटरा केशव देव के नाम नजूल भूमि घोषित कर दी। सन् 1815 में बनारस के राजा पटनीमल ने इसे अंग्रेजों से खरीद लिया। मुस्लिम पक्ष के स्वामित्व का दावा खारिज कर दिया गया और 1860 में बनारस के राजा के वारिस राजा नरसिंह दास के पक्ष में डिक्री हो गई। इसके बाद हिन्दू-मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद चलता रहा। 1920 के फैसले में मुस्लिम पक्ष को निराशा मिली। कोर्ट ने कहा कि 13.37 एकड़ जमीन पर मुस्लिम पक्ष का कोई अधिकार नहीं है।

1944 में पूरी जमीन का पं मदनमोहन मालवीय और दो अन्य के नाम बैनामा कर दिया गया। जेके बिड़ला ने इसकी कीमत का भुगतान किया। इससे पहले 1935 में मस्जिद ईदगाह के केस को एक समझौते के आधार पर तय किया गया था। इसके बाद 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बना लेकिन 1958 में वह अर्थहीन हो गया। इसी साल मुस्लिम पक्ष का एक केस खारिज कर दिया गया। 1977 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बना जो बाद में संस्थान बन गया।

शाही मस्जिद ईदगाह कमिटी जाएगा सुप्रीम कोर्ट

मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से गुरुवार को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही मस्जिद ईदगाह परिसर के सर्वे की मांग करने वाली याचिका को स्वीकार किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन कमिटी के सचिव और अधिवक्ता तनवीर अहमद ने भाषा को बताया कि कमिटी हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ जो भी कानूनी प्रक्रिया संभव होगी, वह की जाएगी।

पर्सनल लॉ ने कमिटी के निर्णय का किया स्वागत

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने बयान जारी कर शाही मस्जिद ईदगाह कमिटी के इस निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कानूनी समिति शाही मस्जिद ईदगाह कमिटी को हर कानूनी सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 में बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान केंद्र सरकार ने ऐसे सभी विवादों से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए पूजा स्थलों से संबंधित एक कानून पारित किया था।

प्रवक्ता ने कहा, कानून में कहा गया है कि पूजा स्थलों की स्थिति ठीक वैसी ही रहेगी, जैसी 1947 में थी। उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि इसके बाद कोई नया टकराव पैदा नहीं होगा लेकिन जिन तत्वों को देश में शांति और सद्भावना में कोई दिलचस्पी नहीं है और जो हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत पैदा कर रहे हैं, वे ऐसा करके अपना राजनीतिक हित पूरा करना चाहते हैं।

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