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पेरू में राष्ट्रपति चुनाव: किसान का बेटा और पूर्व राष्‍ट्रपति की बेटी आमने-सामने

लीमा। लैटिन अमेरिकी देश(Latin American country) पेरू (Peru) में रविवार को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) में सीधा मुकाबला वामपंथ(Left) और दक्षिणपंथ (Right) के बीच है। गरीब किसान के घर से आए वामपंथी उम्मीदवार पेड्रो कास्तिलो (leftist candidate Pedro Castillo) के मुकाबले एक पूर्व राष्ट्रपति की बेटी केइको फुजीमोरी (Keiko Fujimori, daughter of former president) उम्मीदवार हैं। फुजीमोरी के दक्षिणपंथी पिता अल्बर्तो फुजीमोरी 1990 के दशक में राष्ट्रपति थे, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा चल रहा है। सवा तीन करोड़ से अधिक आबादी वाला देश पेरू (Peru) कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों के मुताबिक वामपंथी लिब्रे पार्टी के उम्मीदवार पेड्रो कास्तिलो को दो फीसदी वोटों की बढ़त मिली हुई है। कास्तिलो शिक्षक यूनियन के अध्यक्ष रह चुके हैं। उधर 46 वर्षीया फुजीमोरी तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव में उतरी हैं। पिछले दो मौकों पर वे मामूली अंतर से हार गई थीं।
खबरों के मुताबिक इस बार पेरू के धनी-मानी तबकों ने फुजीमोरी को जिताने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसकी वजह कास्तिलो का ये वादा है कि अगर वे सत्ता में आए तो राष्ट्रीयकरण की नीति पर चलेंगे, आयात को हतोत्साहित करेंगे, और धनी लोगों पर टैक्स बढ़ाएंगे। कास्तिलो ने एक नया जनपक्षीय संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू करने का वादा भी किया है।



पर्यवेक्षकों का कहना है कि कास्तिलो के एजेंडे से आशंकित तबकों ने उनके खिलाफ प्रचार में अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। उन्होंने जगह-जगह ऐसे बैनर और होर्डिंग लगाए हैं, जिनमें चेतावनी दी गई है कि पेरू क्यूबा के रास्ते पर जा सकता है, जहां गरीबी, मौत, भय और हताशा के अलावा कुछ और नहीं होगा।
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 1990 के दशक के बाद से पेरू में किसी वामपंथी उम्मीदवार को लेकर वैसा भय नहीं फैलाया गया, जैसा इस बार कास्तिलो को लेकर किया गया है। ऐसा तब भी नहीं हुआ था, जब अल्बर्तो फुजीमोरी उम्मीदवार थे। तब केइको फुजीमोरी के पिता ने वामपंथी उम्मीदवार मारियो वर्गास लोसा को हराया था।
मतदान के पहले चरण में कास्तिलो सबसे आगे रहे। पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गोंजालो बांदा का कहना है कि पहले चरण में कास्तिलो को मिले जोरदार समर्थन से व्यापारी और धनी तबका घबरा गया। इसलिए उसने लोगों में भय फैलाने की रणनीति अपनाई है।’ बांदा के मुताबिक कई बड़ी कंपनियों ने केइको फुजीमोरी की मदद की है। उन्होंने उनके पक्ष में प्रचार अभियान चलाया है, जिसमें कास्तिलो लेकर डर फैलाने की कोशिश की गई है।
कास्तिलो की रणनीति पुराने राजनीतिक वर्ग पर हमला बोलने की रही है। उन्होंने ‘पुराने भ्रष्ट राज्य’ को बदलने का वादा किया है। उनका प्रमुख नारा है- ‘इस धनी देश में अब गरीबी नहीं।’ जानकारों का कहना है कि कास्तिलो ने इस नारे के जरिए सोने के खदान वाले इलाकों में रहने वाले गरीब लोगों को लुभाने की कोशिश की है। पहले चरण के मतदान में उन्हें ऐसे इलाकों में 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। लेकिन राजधानी लीमा और आसपास के इलाकों में उन्हें ज्यादा समर्थन नहीं मिला, जहां संपन्न तबकों के लोग रहते हैँ।
जनमत सर्वे एजेंसी इमासेन पोलस्टर के निदेशक गियोवाना पेनाफ्लोर के मुताबिक चुनाव अधिकारी कास्तिलो को समान धरातल उपलब्ध कराने में विफल रहे हैँ। लेकिन फुजीमोरी को अपने पिता के कारनामों की कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसलिए फिलहाल पलड़ा कास्तिलो की तरफ झुका हुआ है।

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