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यूएन में भारत की तरफ से आया शांति सेनाओं में महिला भागीदारी बढ़ाने का प्रस्ताव

जिनेवा । भारत ने इंडोनेशिया के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें यूएन शांति सेनाओं में महिला जवानों को पूर्ण, प्रभावी और अर्थपूर्ण भागीदारी करने का मौका देने की अपील की गई है। इसी के साथ इस प्रस्‍ताव पर संयुक्त राष्ट्र में मतदान किया गया है और परिणाम 29 अगस्त को घोषित किए जाएंगे। प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों को वर्दीधारी महिला कर्मियों के लिए प्रशिक्षण तक पहुंच और तैनाती में इच्छुक महिला कर्मियों के राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करने के लिए कहा गया है। 2019 के आंकड़ों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों में केवल 6 फीसद महिलाएं हैं। कुल 86,687 शांति सैनिकों में केवल 5,243 ही महिलाएं हैं।

बतादें कि संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भारत सबसे ज्यादा जवान भेजने वाले देशों में से एक है। यूएन में भारत के स्थायी दूतावास की तरफ से बताया गया है कि इंडोनेशिया की तरफ से पेश किए गए प्रस्ताव में सह प्रायोजक बनने पर भारत को गर्व है। ट्वीट में आगे कहा गया, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 2021 से चालू हो रहे अपने कार्यकाल के दौरान हमारी तरफ से अपने लिए तय प्राथमिकताओं के तहत भारत सभी क्षेत्रों में महिलाओं की ज्यादा हिस्सेदारी के लिए दबाव बनाता रहेगा।

जून में भारत को सुरक्षा परिषद में दो साल के लिए अस्थायी सदस्य के तौर पर चुना गया था। उसका कार्यकाल एक जनवरी, 2021 को चालू होगा। भारत को अगस्त, 2021 में 15 देशों की इस शक्तिशाली यूएन शाखा के अध्यक्ष के तौर पर काम करने का मौका मिलेगा। भारत इसके बाद 2022 में दोबारा एक महीने के लिए परिषद का मुखिया बनेगा। भारत ने यूएन शांति अभियानों से अपने लंबे जुड़ाव के दौरान 2007 में तब इतिहास रचा था, जब उसने लाइबेरिया में एक शांति अभियान के लिए अपनी पहली पूरी तरह महिला पुलिस यूनिट को भेजा था। शांति अभियानों में भारत जवानों की संख्या के हिसाब से 5वां सबसे बड़ा योगदान देने वाला देश है।

भारत के करीब 5400 सेना व पुलिस के जवान फिलहाल अबेयी, साइप्रस, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, लेबनान, मध्य पूर्व, सूडान, दक्षिणी सूडान और पश्चिमी सहारा के साथ ही सोमालिया में शांति अभियानों में भाग ले रहे हैं। पिछले 70 सालों के दौरान देश के 160 जवानों ने शांति अभियानों में सेवा देने के दौरान अपनी शहादत दी है, जो किसी भी अन्य देश से कहीं ज्यादा है। गौरतलब है कि इससे पहले 2020 में भारतीय महिला शांतिदूत मेजर सुमन गवानी ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य लिंग एडवोकेट पुरस्कार जीता था। उन्होंने दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ एक शांतिदूत के रूप में कार्य किया।

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