चेन्नई। महासागरों के वैज्ञानिक अध्ययन (scientific study of oceans) और चक्रवातों पर नजर रखने के लिए भारत (India) तीसरी पीढ़ी के ओशियन-सैट (third generation oceansat) का प्रक्षेपण शनिवार को करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) (Indian Space Research Organization (ISRO)) का लोकप्रिय रॉकेट पीएसएलवी-सी54 (PSLV-C54) इसे आठ अन्य नैनो उपग्रहों के साथ पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। इस मिशन के लिए उल्टी गिनती शुरू कर दी गई है।
रॉकेट की यह 24वीं उड़ान होगी
यह प्रक्षेपण सुबह 10.26 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रस्तावित है। 44.4 मीटर ऊंचे रॉकेट का यह पीएसएलवी-एक्सएल प्रारूप है, जिसमें 321 टन लिफ्ट ऑफ मास यानी खुद रॉकेट, बूस्टर, प्रोपेलेंट, उपग्रह व उपकरणों को अंतरिक्ष में ले जाने की क्षमता है। रॉकेट की यह 24वीं उड़ान होगी।
रॉकेट दो कक्षाओं में उपग्रह ले जाएगा
इसरो के वैज्ञानिक इसे अब तक के सबसे लंबे मिशन में से एक मान रहे हैं। इसमें रॉकेट दो कक्षाओं में उपग्रह ले जाएगा। प्रक्षेपण के 20 मिनट बाद ओशियन-सैट धरती से 742 किमी की ऊंचाई पर छोड़ा जाएगा। इसके बाद रॉकेट पृथ्वी की ओर लाया जाएगा और 516 से 528 किमी ऊंचाई पर बाकी उपग्रह छोड़े जाएंगे।
सबसे लंबे मिशनों में से एक होगा
सूत्रों ने यह भी बताया कि यह मिशन इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सबसे लंबे मिशनों में से एक होगा। ये पीएसएलवी-सी54 प्रक्षेपण यान में इस्तेमाल होने वाले टू-ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स (ओसीटी) का उपयोग करके कक्षाओं को बदलने के लिए रॉकेट को शामिल करेगा। अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट को ऑर्बिट-1 में अलग किया जाएगा जबकि यात्री पेलोड को ऑर्बिट-2 में अलग किया जाएगा।