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हाईकोर्ट का आदेश, सिखों को धार्मिक चिह्नों के साथ परीक्षा देने पर निर्णय लें पंजाब और हरियाणा

चंडीगढ़। सरकारी नौकरी (government job) की प्रतियोगी परीक्षाओं (competitive exams) के दौरान सिखों को धार्मिक चिह्न (Sikh religious icons) के साथ परीक्षा देने की अनुमति से जुड़ी याचिका का पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने निपटारा कर दिया। हाईकोर्ट ने याची को इस संबंध में हरियाणा व पंजाब सरकार को मांगपत्र सौंपने और दोनों सरकार को इस पर निर्णय लेने का आदेश दिया है।

याचिकाकर्ता एडवोकेट चरणपाल बागड़ी ने हाईकोर्ट को बताया कि नौकरियों के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं में सिखों को अपने पांचों पावन चिह्नों के साथ जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। बागड़ी के मुताबिक सिख धर्म के लोगों के पांच धार्मिक चिह्न होते हैं, जिनमें किरपाण, कड़ा और कंघा आदि शामिल हैं। इन्हें परीक्षा में साथ नहीं लेकर जाने देना सीधे तौर पर आवेदकों की धार्मिक भावनाओं को आहत करना व धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है।


सुप्रीम कोर्ट भी अपने फैसले में तय कर चुका है कि सिख आवेदक अपने धार्मिक प्रतीकों के साथ परीक्षा दे सकते हैं। ऐसे में सिख आवेदकों को उनके इस अधिकार से वंचित रखना न सिर्फ असंवैधानिक है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने अब याचिकाकर्ता को आदेश दिया है कि वह अपनी मांग को लेकर हरियाणा व पंजाब सरकार को मांगपत्र सौंपे और दोनों सरकार इस मांगपत्र पर कानून के अनुरूप निर्णय लें।

यह था मामला
हरियाणा सिविल सर्विसेस एग्जीक्यूटिव ब्रांच के 166 पदों के लिए 31 मार्च, 2019 को परीक्षा में सिख आवेदकों को किरपाण और कड़ा पहन परीक्षा में शामिल होने पर पाबंदी लगाई गई थी। इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सिख आवेदकों को धार्मिक चिह्न के साथ परीक्षा देने की अनुमति मांगी गई थी।

हाईकोर्ट ने तब परीक्षा के लिए धार्मिक चिह्न धारण कर परीक्षा देने पर लगाई गई पाबंदी पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार और एचपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। साथ ही सिख धर्म के पांचों ककार धारण करने वाले आवेदकों को जांच के लिए परीक्षा केंद्र एक घंटा पहले पहुंचने का आदेश दिया था।

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