दीपक भारी पड़ गया तूफान पर… बुझने से पहले मिटने का जो हौसला दिखाए वह दीपक जिस देश को रोशनी दिखाए… उसके उजाले को कौन मिटा पाए… सलाम यूक्रेन को… सलाम जेलेंस्की को… जिस देश का एक मसखरा देश के स्वाभिमान के लिए इतना गंभीर हो जाए… अपने देशवासियों के लिए भावुक होकर आंसू बहाए… अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए जान हथेली पर लेकर दुनिया की महाशक्ति को ललकारने का हौसला दिखाए… जिसकी एक आवाज पर घर का बच्चा-बच्चा हथियार लेकर सडक़ों पर उतर आए… जो खुद शहीद होने का जज्बा दिखाए… वर्दी पहनकर युद्ध के मैदान में उतर आए… दुनियाभर के देशों की शरण के प्रस्ताव को ठुकराए और मरते दम तक लडऩे की कसमें खाए … ऐसे देश को कौन हरा पाए… वो देश तो युद्ध से पहले ही हौसलों की जीत में अपना नाम दर्ज कराए… उस देश को तो जीतने वाला भी हारा हुआ नजर आए… रूस के सनकी सुल्तान पुतिन ने देश के हथियारों की क्षमताओं का तो आकलन कर डाला… लेकिन उस देश के हौसले का आकलन नहीं कर पाया… पुतिन ने यूक्रेन के फौजियों की संख्या तो गिन ली… लेकिन जब पूरा देश फौजी बन जाता है तो उसकी संख्या कौन गिन पाता है… आज यूक्रेन की गलियों में आम लोग फौजियों से भिड़ रहे हैं… कोई टैंक के सामने सीना चौड़ा कर रहा है… तो कोई हथियारबंद फौजियों का मुकाबला निहत्थे होकर कर रहा है… दुनिया की महाशक्ति बना रूस चार दिन में चार कदम चलता है और रास्तों में उसके फौजियों की लाशों का ढेर लगता है… तब यह अचरज एक नया सच लेकर उभरता है कि जीत हथियारों की नहीं हौसलों की होती है… कल तक जो देश पहचान से दूर दुनिया की भीड़ में खोया हुआ था… आज पूरी दुनिया में उस देश का नाम हौसले, जज्बे और राष्ट्र प्रेम की पहचान के रूप में लिया जा रहा है …पुतिन चाहे जमीन जीत लें ंलेकिन जमीर उनका मरा हुआ नजर आएगा… रूस भले ही जंग जीत ले लेकिन जीत कर भी वह हार जाएगा…
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