नई दिल्ली । संसदीय चुनावों में यूपी के अमेठी से कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पटखनी देने वाली बीजेपी अब उन्हें केरल (Kerala) के वायनाड (Wayanad) में भी बख्शने के मूड में नहीं है. राहुल गांधी जहां नेपाल के नाइट क्लब में छुट्टियां मना रहे हैं. वहीं उन्हें अमेठी के चुनाव में हराने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) अब बीजेपी की पकड़ मजबूत करने के लिए वायनाड पहुंच गई हैं.
राहुल गांधी को वायनाड में घेरने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को वायनाड (Wayanad) में घेरने की कोशिश कर रही है. इसके लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने रणनीति तैयार कर ली है. राहुल गांधी को अमेठी में चुनाव हराने वाली स्मृति ईरानी (Smriti Irani) अब वायनाड की जनता का मूड भांपने के लिए केरल पहुंच गई हैं. वे वायनाड का दौरा कर इलाके का राजनीतिक माहौल भांपने में लगी हुई हैं.
स्मृति ईरानी ने कई इलाकों का किया दौरा
स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने मंगलवार को केरल के वायनाड का दौरा कर बीजेपी के स्थानीय नेताओं से मुलाकात की और इसके साथ ही कई सरकारी कार्यक्रमों में भी शामिल हुईं. केंद्रीय मंत्री ने वायनाड (Wayanad) में दो आंगनवाड़ी केंद्रों का दौरा कर महिलाओं और बच्चों के साथ बातचीत भी की. इसके बाद उन्होंने एक आदिवासी बस्ती में जाकर वहां के लोगों से हाल-चाल जाना.
आदिवासियों और महिला-बच्चों से बात की
केंद्रीय मंत्री ने भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए अधिकारियों के साथ जिला आकांक्षी समीक्षा बैठक की. उन्होंने जिले के वन स्टॉप सेंटर का दौरा कर वहां के पदाधिकारियों और लाभार्थियों से भी बातचीत की. बताया जा रहा है कि जिले के आदिवासियों और महिला-बच्चों की दुर्दशा की जानकारी मिलने के बाद स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने खुद वहां जाकर हालात का जायजा लेने का फैसला किया.
राहुल को वायनाड तक सीमित कर देने की रणनीति
सूत्रों का कहना है कि अगले संसदीय चुनावों में बीजेपी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को उनकी सीट तक बांधकर रख देना चाहती है, जिससे वे प्रचार के लिए दूसरे इलाकों में न निकल सकें. अगर वे अमेठी की तरह वायनाड (Wayanad) से भी चुनाव हार जाते हैं तो इससे बीजेपी को कांग्रेस पर बड़ा हमला बोलने का मौका मिल जाएगा. साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिर जाएगा.