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RBI गवर्नर ने कहा : गूगल-अमेजन जैसी टेक कंपनियों के वित्तीय कारोबार में आने से बढ़ेगा कर्ज पर जोखिम


मुंबई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि गूगल और अमेजन जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के वित्तीय कारोबार में आने से जोखिम बढ़ जाएगा। कर्जदार के स्तर पर ज्यादा कर्ज लेने और उसे न चुका पाने जैसी व्यवस्थागत चिंताएं पैदा हो सकती हैं। गूगल, अमेजन, फेसबुक (मेटा) जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के वित्तीय कारोबार में आने से प्रतिस्पर्धा और डाटा की निजता को लेकर भी सवाल खड़े हो जाएंगे।

दास ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा, इन कंपनियों के साथ जोखिम जुड़े हैं। इसका उचित आकलन करना और निपटना जरूरी है। इनमें शामिल ई-कॉमर्स कंपनियों, सर्च इंजन और सोशल मीडिया मंचों ने अपने स्तर पर या साझेदारी से बड़े स्तर पर वित्तीय सेवाओं की पेशकश शुरू की है। ऐसे में कर्ज के आकलन के नए तरीकों का इस्तेमाल होने लगा है। नए तरीकों का इस तरह बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने से अत्यधिक कर्ज, अपर्याप्त कर्ज आकलन व कुछ इसी प्रकार के जोखिमों की व्यवस्थागत चिंता पैदा हो सकती है।

डिजिटल कर्ज बांटने को और सुरक्षित बनाएंगे
आरबीआई ने कहा कि डिजिटल तरीके से कर्ज बांटने की प्रणाली को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए आरबीआई जल्द दिशानिर्देश जारी करेगा। चर्चा पत्र भी लाया जाएगा। उन्होंने इस भी चिंता जताई कि किस तरह डिजिटल मंचों पर कर्ज बांटने के नाम पर लोगों से ठगी हो रही है। हालांकि, इस संबंध में लोगों को जागरूक करने के लिए केंद्रीय बैंक समय-समय पर गाइडलाइन भी जारी करता है।


महंगाई लक्ष्य पर पहले ध्यान देना विनाशकारी होता
दास ने कहा, केंद्रीय बैंक अगर चार फीसदी के महंगाई लक्ष्य पर ध्यान देने में लग जाता तो परिणाम अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी होते। सही समय पर नीतिगत कदम नहीं उठाने के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक तत्काल ब्याज दरों में बड़ी वृद्धि नहीं कर सकता था। महंगाई से निपटने के लिए आरबीआई अप्रैल, 2022 से तीन या चार महीने पहले तक भी ध्यान नहीं दे सकता था, यह उचित नहीं होता। मार्च में जब लगा कि आर्थिक गतिविधियां महामारी पूर्व स्तर से आगे निकल गई हैं, तब महंगाई पर ध्यान दिया। दो दिन पहले एक लेख में आरबीआई पर आरोप लगाया गया था कि उसने महंगाई पर समय रहते कदम नहीं उठाए। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम इसके सह-लेखक थे।

…तो विकास दर पर पड़ता असर
महामारी के मद्देनजर वृद्धि पर ध्यान दिया गया। इसके बावजूद 2022-21 में अर्थव्यवस्था 6.6% संकुचित हो गई थी। केंद्रीय बैंक ने अपना रुख पहले बदला होता तो 2021-22 में वृद्धि पर असर पड़ सकता था। फरवरी, 2022 में अनुमान लगाया था कि 2022-23 में महंगाई 4.5% रह सकती है, वह कोई आशाजनक अनुमान नहीं था। यह गणना भी क्रूड की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल रहने के अनुमान पर की गई थी, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने परिदृश्य बदल गया।

पेमेंट विजन का लक्ष्य डिजिटल भुगतान 3 गुना बढ़ाना
आरबीआई ने ‘पेमेंट विजन 2025’ दस्तावेज जारी किया। इसका लक्ष्य डिजिटल भुगतान में तीन गुना वृद्धि करना है। केंद्रीय बैंक डेबिट कार्ड के इस्तेमाल को बढ़ावा देगा और नकदी के चलन को कम करने पर जोर देगा। विजन दस्तावेज का उद्देश्य हर यूजर को सुरक्षित, तेज, सुविधाजनक, सुलभ, किफायती ई-भुगतान विकल्प देना है।

वृद्धि के लिए पूंजीगत खर्च जारी रखेगी सरकार : सीईए
मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEO) वी अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि सरकार महामारी की तीसरी लहर के बाद आर्थिक वृद्धि को मिली गति को पूंजीगत खर्च के जरिये निरंतर समर्थन देने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि 2021-22 में जब पूंजीगत खर्च बजट अनुमान का 6 लाख करोड़ रुपये था, तब सरकार 5.92 लाख करोड़ ही खर्च कर पाई थी। इसलिए चालू वित्त वर्ष में अगर सरकार 7.5 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च कर पाई तो यह सबसे बड़ा वास्तविक आर्थिक हस्तक्षेप होगा।

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