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RBI का बड़ा फैसला- घर के कागजात नहीं लौटाए तो बैंकों को रोज देना होगा 5000 रुपये हर्जाना

नई दिल्ली (New Delhi)। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने बुधवार को कर्जदारों के हित में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आरबीआई ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों (Banks and Financial Institutions) को निर्देश दिया है कि पूरी कर्ज अदायगी के बाद 30 दिन के भीतर चल या अचल संपत्ति (movable or immovable property) से जुड़े मूल दस्तावेज संबंधित कर्जदाता को लौटाने होंगे। साथ ही जो भी शुल्क लगाया गया है, उसे हटाना होगा। इसका पालन नहीं करने पर बैंकों को पांच हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से हर्जाना देना होगा।

आरबीआई ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। ये निर्देश उन सभी मामलों पर लागू होंगे, जहां मूल चल/अचल संपत्ति के दस्तावेज एक दिसंबर 2023 या उसके बाद जारी होने हैं। आरबीआई ने कहा है कि कर्जदाता को उसकी प्राथमिकता के अनुसार दस्तावेजों को या तो उस बैंक शाखा से एकत्र करने का विकल्प दिया जाएगा, जहां ऋण खाता संचालित किया गया था या संबंधित इकाई के किसी अन्य कार्यालय में दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। दस्तावेजों की वापसी की समयसीमा और स्थान के बारे में कर्ज मंजूरी पत्रों में उल्लेख किया जाएगा। संबंधित कागजात जारी करने में देर होने पर बैंक और वित्तीय संस्थान कर्जदाता को इसकी सूचना देंगे। 30 दिन की समयसीमा के बाद लेट होने पर प्रतिदिन के हिसाब से पांच हजार रुपये हर्जाना देना होगा।


गुम होने पर बैंक जिम्मेदार होंगे
अधिसूचना के अनुसार, मूल दस्तावेजों के नुकसान या उसके गुम होने की स्थिति में संबंधित वित्तीय संस्थान कर्जदार को ऐसे दस्तावेजों की नकल /प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने में सहायता करेंगे। साथ ही हर्जाने का भुगतान करने के साथ संबंधित लागत का बोझ भी उठाएंगे। हालांकि, ऐसे मामलों में वित्तीय संस्थानों के पास इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 30 दिन का अतिरिक्त समय उपलब्ध होगा और हर्जाने की गणना उसके बाद जाएगी। यानी कुल 60 दिन की अवधि के बाद हर्जाने का भुगतान करने की जरूरत होगी।

रिजर्व बैंक को मिल रही थी शिकायत
दरअसल, रिजर्व बैंक को इस बारे में शिकायतें मिल रही थीं कि ग्राहकों के द्वारा कर्ज को पूरा चुका देने के बाद भी बैंकों व एनबीएफसी आदि के द्वारा चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज देने में देरी की जा रही है। रिजर्व बैंक ने कहा कि इस देरी के चलते विवाद और मुकदमेबाजी जैसी स्थितियां पैदा हो रही हैं। आरबीआई ने कहा कि वित्तीय संस्थान दस्तावेजों को जारी करने में अलग-अलग रुख अपनाते हैं, जिससे कानूनी विवाद के मामले बढ़ रहे हैं।

इन पर लागू होगा आदेश
सभी सरकारी और निजी वाणिज्यिक बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां व एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियां और अन्य वित्तीय संस्थान।

इनका पालन करना होगा
– अगर दस्तावेज जारी करने में कोई देरी होती है तो संस्थान को इस बारे में संबंधित कर्जदाता को इसका कारण बताना होगा।
– कर्ज मंजूरी पत्र सभी कागजात को वापस करने की तारीख और स्थान का जिक्र करना होगा।
– अगर कर्जदार की मृत्यु हो जाती है तो कानूनी उत्तराधिकारी को कागजात वापस करने की स्पष्ट प्रक्रिया बतानी होगी। इसकी जानकारी वेबसाइट पर भी दिखानी होगी।

बैकों की शिकायतें
दिल्ली 48,452
मुंबई 39,478
कानपुर 24,214
चेन्नई 21,396
चंडीगढ़ 20,270

(आंकड़े वित्त वर्ष 2021-22 के, इसमें सभी तरह की शिकायतें शामिल, स्रोत – बैंकिंग लोकपाल)

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