इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अवैध बिकी जमीनों की रजिस्ट्रियां होंगी शून्य एक दर्जन से ज्यादा प्रकरण कोर्ट में दायर

  • प्रमुख सचिव सहकारिता ने सभी संस्थाओं की वेबसाइट बनाने और सारा रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के दिए निर्देश, इंदौरी कार्यालय ने संस्थाओं को जारी किए नोटिस

इंदौर। गृह निर्माण संस्थाओं में भू-माफियाओं ने जो घोटाले किए उनकी जांच तो चल ही रही है। वहीं सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता ने सभी संस्थाओं की वेबसाइट बनाने, सदस्यों के नाम, ऑडिट रिपोर्ट सहित सभी जानकारी ऑनलाइन करने के आदेश जारी किए हैं, जिसके चलते इंदौर के दफ्तर ने संस्थाओं को नोटिस जारी किए हैं और पहले प्रशासक के नियंत्रण वाली संस्थाओं के रिकॉर्ड अपलोड करवाए जाएंगे। दूसरी तरफ एक दर्जन से अधिक प्रकरण भी कोर्ट में दायर करवा दिए हैं, जिनमें अवैध रूप से बिकी संस्थाओं की जमीनों की रजिस्ट्रियां शून्य करवाई जाएंगी।

कलेक्टर मनीष सिंह ने बीते दो वर्षों में गृह निर्माण संस्थाओं के घोटालों की जांच के साथ ही चर्चित भूमाफियाओं को जेल भिजवाया और कुछ फरारी काटकर जमानत पा गए, तो दूसरी तरफ पीडि़तों को भूखंड भी उपलब्ध करवाए हैं। अयोध्यापुरी, पुष्पविहार, श्रीमहालक्ष्मी नगर सहित अन्य कालोनियों के पीडि़तों को भूखंड मिले हैं। वहीं जो जमीनें रसूखदारों ने खरीद ली, उनकी रजिस्ट्रियां भी शून्य करवाई जा रही है। कल्पतरु, देवी अहिल्या, मजदूर पंचायत से लेकर विदूर नगर संस्था द्वारा बेची गई जमीनों की रजिस्ट्रियां शून्य करवाने के दावे सिविल न्यायालय में लगा दिए गए हैं।


सहकारिता विभाग के उपायुक्त मदन गजभिये के मुताबिक एक दर्जन से अधिक प्रकरण कोर्ट में दायर कर दिए हैं, जिनमें कल्पतरु गृह निर्माण, देवी अहिल्या, विदूर नगर सहित अन्य संस्थाओं की जमीनें शामिल हैं। वहीं श्री गजभिये के मुताबिक प्रमुख सचिव के आदेशानुसार सभी गृह निर्माण संस्थाओं की वेबसाइट भी बनवाई जा रही है। इसके लिए 15 अगस्त तक की समय सीमा तय की गई है। 20 से 25 संस्थाओं की तो वेबसाइट बन भी गई है। इन पर सदस्यता सूची, ऑडिट नोट, जमीनों की जानकारी, कितनों को भूखंड आबंटित हो गए, कितने सदस्य या जमीनें बची हैं, ये तमाम जानकारी ऑनलाइन संस्थाओं को उपलब्ध करवाना होगी। वहीं प्रमुख सचिव केसी गुप्ता ने अग्निबाण से चर्चा करते हुए बताया कि इस प्रक्रिया से सभी गृह निर्माण संस्थाओं के रिकॉर्ड ऑनलाइन रहेंगे, ताकि आम जनता भी उन्हें देख सके। जो संस्थाएं निर्धारित समयावधि में रिकॉर्ड ऑनलाइन नहीं करेंगी उन पर कार्रवाई भी होगी। विभागीय अधिकारियों को यह भी कहा गया है कि प्रशासन के नियंत्रण वाली संस्थाओं की वेबसाइट पहले बनवाएं और उनके रिकॉर्ड ऑनलाइन किए जाएं।

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