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इस साल मिल सकती है महंगाई से राहत, वैश्विक मंदी की आशंका से निर्यात होगा प्रभावित

नई दिल्ली। लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की सदस्य आशिमा गोयल ने रविवार को कहा कि इस साल ऊंची महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, सरकार लगातार अपूर्ति शृंखला को ठीक करने के लिए कदम उठा रही है। इस कारण देश में कीमतें अन्य देशों के मुकाबले धीमी गति से बढेंगी। साथ ही आपूर्ति शृंखला को ठीक करने के लिए उठाए गए कदमों के कारण दूसरे देशों की तुलना में कीमतों में वृद्धि की दर को कम रखा है।

गोयल ने कहा कि भारत ने पिछले तीन वर्षों में काफी लचीलापन रुख दिखाते हुए चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। भारत पिछले तीन सालों में काफी सारे झटकों से सफलतापूर्वक उबरा है। उम्मीद की जा रही है कि इस साल महंगाई दर में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान नीतिगत दरों में भारी कटौती की गई थी, इसलिए जब अर्थव्यवस्था पटरी पर आई तो फिर से उन्हें बढ़ाना पड़ा।

वैश्विक मंदी की आशंका से निर्यात होगा प्रभावित
आशिमा गोयल ने कहा, वास्तविक सकारात्मक दर बनाए रखने के लिए महंगाई के साथ सांकेतिक नीतिगत दरें बढ़ती हैं। इससे मांग और तेजी से नहीं बढ़ती है और महंगाई की दर भी कम होती है। नीतिगत दरों में बदलावों के कारण आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के मुकाबले तेजी से विकास कर रही है। हालांकि, वैश्विक मंदी की आंशका के कारण विनिर्माण और निर्यात प्रभावित हो सकता है।

मार्च के पहले हफ्ते में आरबीआई की ओर से जारी की गई मौद्रिक नीति में चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर के अनुमान को 6.7% से घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था। जनवरी में खुदरा महंगाई दर 6.52 फीसदी थी। पिछले साल मई से इस साल फरवरी तक आरबीआई ने दरों में 2.5 फीसदी की बढ़त की थी।

वाहनों का निर्यात 35% तक घटा
भारत से दोपहिया, यात्री वाहनों और तिपहिया वाहनों के निर्यात में फरवरी में 35 फीसदी की गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण अमेरिका के मुकाबले रुपये का कमजोर होना है। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के मुताबिक, फरवरी, 2022 में यह निर्यात घटकर 3,01,561 इकाई रह गया, जो फरवरी, 2021 में 4,63,025 इकाई था।

दोपहिया वाहनों का निर्यात पिछले महीने 37 फीसदी घटकर 2,35,087 इकाई रहा। एक साल पहले यह 3,75,689 इकाई था। मोटरसाइकिल का निर्यात 3.49 लाख से घटकर 2.01 लाख रह गया। बैंक ऑफ महाराष्ट्र का कर्ज 0.20% सस्ता : बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने कर्ज को 0.20 फीसदी सस्ता कर दिया है। इसका कर्ज अब 8.60 फीसदी के बजाय 8.40 फीसदी ब्याज पर मिलेगा।

विदेशी निवेशकों ने 13,500 करोड़ का किया निवेश
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में इस महीने अब तक 13,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है। डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में 28,852 करोड़ और फरवरी में 5,294 करोड़ की निकासी की गई थी। इससे पहले दिसंबर में इन निवेशकों ने 11,119 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

मार्च में निवेश इसलिए बढ़ा क्योंकि अदाणी समूह ने विदेशी खरीदारों को बल्क डील के तहत शेयर बेचकर 15,400 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई थी। एसवीबी बैंक के पतन के बाद निवेशक सावधानी का रूख अपना सकते हैं।


संशोधित कर लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल
सरकार चालू वित्त वर्ष में 30.43 लाख करोड़ रुपये का संशोधित कर संग्रह लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगी। एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में संशोधित अनुमान बजट अनुमान से 10% अधिक बढ़ा था।

चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान के तहत सकल कर राजस्व 30.43 लाख करोड़ रुपये आंका गया है, जो बजट अनुमान 27.57 लाख करोड़ से अधिक है। अधिकारी ने कहा, हम कमी की उम्मीद कर रहे हैं। शुद्ध संग्रह 15-15.5 लाख करोड़ रुपये के बीच हो सकता है। चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर से राजस्व 2021-22 के तुलना में 17% बढ़कर 16.50 लाख करोड़ रुपये हो सकता है।

यस बैंक के शेयरों में दिख सकती है भारी बिकवाली
यस बैंक के शेयरों में सोमवार से भारी बिकवाली दिख सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक की तीन साल की लॉक इन अवधि सोमवार को खत्म हो रही है जिससे खुदरा और अन्य निवेशक शेयर बेच सकते हैं। एसबीआई के नेतृत्व में कुल 9 बैंकों ने मार्च, 2020 में 10 रुपये प्रति शेयर पर 49% हिस्सा यस बैंक में लिया था। इन बैंकों ने उस समय 10 हजार करोड़ का निवेश किया था।

व्यक्तिगत निवेशकों के पास यस बैंक के 1.35 अरब शेयर हैं जिसमें खुदरा, हाई नेटवर्थ और एनआरआई हैं। 6.7 करोड़ शेयर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के हैं। दिसंबर, 2022 तक एसबीआई के पास 605 करोड़ शेयर थे।

साधारण बीमा कंपनियों में सरकार डाल सकती है पूंजी
सरकार को सरकारी क्षेत्र की तीन सामान्य बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए और पूंजी डालनी पड़ सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। सरकार ने पिछले साल तीन बीमा कंपनियों – नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि., ओरिएंटल इंश्योरेंस लि. और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को 5,000 करोड़ की पूंजी प्रदान की थी।

सरकारी अधिकारी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 में प्रदर्शन के आधार पर, वित्त मंत्रालय यह फैसला करेगा कि नियामक जरूरत को पूरा करने के लिए उन्हें कितनी पूंजी की जरूरत होगी। उनकी वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है और उनके सॉल्वेंसी मार्जिन को बढ़ाने के लिए फंड डाला जाएगा। सॉल्वेंसी मार्जिन वह अतिरिक्त पूंजी है जिसे कंपनियों को संभावित दावा राशि से अधिक रखना चाहिए। यह विषम परिस्थितियों में वित्तीय मदद के रूप में कार्य करता है, जिससे कंपनी को सभी दावों का निपटान करने में मदद मिलती है।

अधिकारी ने कहा कि बजट 2023-24 में बीमा कंपनियों के लिए पूंजी डालने का प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन पूरक मांग के जरिए मांग की जा सकती है। 2020-21 में तीन सामान्य बीमा कंपनियों में 9,950 करोड़ रुपये डाले गए थे। पूंजी डालने के अलावा एक बाहरी सलाहकार ने भी कई सुधारों का सुझाव दिया है।

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