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आर्थिक संकट में Pakistan को लम्बे समय बाद राहत, IMF ने दी तीन बिलियन डॉलर के कर्ज को मंजूरी

इस्लामाबाद (Islamabad)। काफी समय बाद पाकिस्तान (Pakistan) को अब राहत (big Relief) मिली है। आर्थिक सकंट (economic crisis) से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) (International Monetary Fund – IMF) ने बड़ी राहत दी है। आईएमएफ (IMF) ने पाकिस्तान के तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर (three billion US dollars) के बेलआउट कार्यक्रम को अंतिम मंजूरी दे दी है।

चरणबद्ध तरीकों से दी जाएगी राशि
आईएमएफ के एक अधिकारी ने बताया कि कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए एसडीआर 2,250 मिलियन (तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर) के लिए नौ महीने की स्टैंड बाय व्यवस्था को मंजूरी दे दी है। आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान को आर्थिक संकट से उबारने के लिए बेलआउट प्रोग्राम को मंजूरी दी गई है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, आईएमएफ की मंजूरी 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर के तत्काल वितरण की अनुमति देती है। दो त्रैमासिक समीक्षाओं के बाद बाकी राशि चरणबद्ध तरीके से वितरित की जाएगी। आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान को सऊदी अरब से दो बिलियन अमेरिकी डॉलर और यूएई से एक बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि मांगनी पड़ी।


प्रधानमंत्री शरीफ ने जाहिर की खुशी
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बेलआउट प्रोग्राम पर खुशी जाहिर की। शरीफ ने ट्वीट कर कहा कि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने थोड़ी देर पहले तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्टैंड बाय समझौते को मंजूरी दे दी है। अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए बेलआउट कार्यक्रम सरकार के प्रयासों का नतीजा है। आईएमएफ की मदद से तात्कालिक और मध्यम अवधि की आर्थिक चुनौतियों पर काबू पाया जा सकता है। इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्तिथि को मजबूती मिलेगी।

सौदे में देरी होने से पाकिस्तान को कितना नुकसान हुआ?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी समय से ढहने की कगार पर है। 2022 की बाढ़ , अन्य चीजों के अलावा रूस- यूक्रेन युद्ध के कारण हुए बाहरी आर्थिक झटकों ने इसे कगार पर ला दिया। नवंबर 2022 में, आईएमएफ ने 2019 ईएफएफ के तहत धन के वितरण को रोकने का फैसला किया। 1.18 बिलियन डॉलर का लंबित भुगतान बकाया था, लेकिन ऊर्जा दरों में वृद्धि, अधिक कर लगाने और विनिमय दर पर नियंत्रण को रोकने के आश्वासन सहित कुछ मांगों को पूरा करने में सरकार की अनिच्छा के कारण आईएमएफ ने इसे रोक दिया। इसने पाकिस्तान की आर्थिक हालत और कमजोर हो गई। यही कारण है कि देश में विदेशी मुद्रा संकट और रिकॉर्ड मुद्रास्फीति शुरू हुई जो अभी भी जारी है।

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