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Research: प्लास्टिक में 13 हजार रसायन, इसमें 4200 इंसानों और पर्यावरण दोनों के लिए भारी नुकसानदेह

नई दिल्ली (New Delhi)। प्लास्टिक (Plastic) में 16,325 रसायन मौजूद हैं। इनमें 26 फीसदी यानी 4,200 रसायन (4,200 chemicals) इन्सानों और पर्यावरण (humans and environment) दोनों के लिए भारी नुकसानदेह हैं। यूरोप के वैज्ञानिकों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों (international institutions) ने प्लास्टिक में करीब 13,000 रसायनों की पहचान की थी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इनमें से केवल छह फीसदी रसायन ऐसे हैं, जिन्हें वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विनियमित किया जाता है। इसके अलावा कई खतरनाक रसायनों का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है।


सभी प्लास्टिक हानिकारक
नॉर्वेजियन रिसर्च काउंसिल के सहयोग से तैयार की गई स्टेट ऑफ द साइंस ऑन प्लास्टिक केमिकल्स नामक रिपोर्ट के मुताबिक, जितने भी तरह के प्लास्टिक का अध्ययन किया गया है वे सभी हानिकारक रसायन छोड़ते हैं। कभी बेहद उपयोगी समझा जाने वाला प्लास्टिक आज दुनिया के लिए बड़ी समस्या बन चुका है।

13 हजार से ज्यादा रसायनों की हुई थी पहले पहचान
बुनियादी जानकारी का आभाव… रिपोर्ट के मुताबिक, प्लास्टिक में पाए जाने वाले एक चौथाई से अधिक ज्ञात रसायनों की पहचान के बारे में बुनियादी जानकारी का अभाव है। आधे से अधिक के बारे में उनके कार्यों और प्रयोगों के बारे में पब्लिक डोमेन में अस्पष्ट जानकारी है। कौन सा देश कितने प्लास्टिक का उत्पादन कर रहा है और कितना प्लास्टिक कचरा पैदा हो रहा है, इस बारे में भी आंकड़ों का आभाव है। यह बेहद चिंताजनक है कि 10 हजार से अधिक रसायनों से जुड़े खतरों को लेकर जानकारी का आभाव है।

66 फीसदी रसायन चिंता का विषय
प्लास्टिक में उपयोग के लिए 1,300 से अधिक रसायनों का व्यापार किया जाता है और अच्छी तरह से अध्ययन किए गए प्लास्टिक प्रकारों में पाए जाने वाले 29 से 66 फीसदी रसायन चिंता का विषय हैं। यानी पैकेजिंग से लेकर सामान्य इस्तेमाल तक के प्लास्टिक के सभी प्रमुख प्रकारों में 400 से अधिक खतरनाक रसायन मौजूद हैं।

हर साल 40 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन
वैश्विक स्तर पर हर साल करीब 40 करोड़ टन प्लास्टिक उत्पादित किया जाता है। इसमें से केवल नौ फीसदी प्लास्टिक ही रीसाइकल किया जाता है। यदि इस समस्या पर गंभीरता से गौर न किया गया तो जलीय पारिस्थितिक तंत्र में जगह बनाने वाले प्लास्टिक कचरे की मात्रा 2040 तक करीब 2.9 करोड़ टन पर पहुंच जाएगी।

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