नई दिल्ली: देश में कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. शनिवार को बताया गया कि पिछले 24 घंटों के दौरान 8329 नए मामले दर्ज किए गए. पिछले 3 महीने ये पहला मौका है, जब देश में कोरोना केस 8 हजार के ऊपर गए हैं. देश में एक्टिव केस 40 हजार को पार कर गए हैं. इसे लेकर लगातार ये आशंका जताई जा रही है कि कहीं ये चौथी लहर की आहट तो नहीं. इसके मद्देनजर INSACOG ने डाटा खंगालना शुरू कर दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि देश में कोरोना के विभिन्न वैरिएंट्स के जीनोम सर्विलांस के डाटा को रिव्यू करने के लिए अगले हफ्ते INSACOG की बैठक होगी.
INSACOG का गठन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉलजी ने CSIR और ICMR के सहयोग से किया है. इसका काम कोरोना के जीन में होने वाले बदलावों पर नजर रखना और सरकार को उससे निपटने के उचित सुझाव देना है. आईसीएमआर के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. समीरन पांडा ने शुक्रवार को कहा था कि घबराने से कुछ नहीं होगा. इससे न तो डाटा को एनालाइज करने में मदद मिलेगी और न ही कोरोना के मद्देनजर स्वास्थ्य सेवाओं को तैयार करने में.
एएनआई के मुताबिक, डॉ. पांडा ने कहा कहा कि हमें कोरोना के डाटा का बारीकी से अध्ययन करना होगा. देखना होगा कि क्या नए केस किसी खास इलाके या जिले से ज्यादा आ रहे हैं, या फिर कुछ जिलों में केस बढ़ रहे हैं. ये भी देखना होगा कि उन इलाकों में कितने टेस्ट किए जा रहे हैं. कोरोना को स्थानीय स्तर पर ही रोकने के इंतजाम करने के लिए ये सब डाटा का आकलन करना जरूरी है. डॉ. पांडा ने जोर देकर कहा कि कोरोना पर क्षेत्रवार और जिलेवार नजर रखने की जरूरत है. कोरोना के खिलाफ जंग में पूरे देश या राज्यों को एकसाथ देखने के बजाय जिले, क्षेत्र और बूथ लेवल तक के आंकड़ों पर गौर करना होगा.
कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल को पत्र लिखा था. इन राज्यों से पांच गुना रणनीति अपनाने, COVID-19 उपयुक्त व्यवहार का पालन करने और पर्याप्त टेस्टिंग कराने पर जोर दिया गया था. क्या देश को कोरोना के किसी नए वैरिएंट से खतरा है, एनडीटीवी के मुताबिक, इस सवाल पर डॉ. पांडा ने कहा कि किसी नए वैरिएंट की पहचान के बाद ही खतरे का आंकलन किया जा सकता है.
इसलिए जब भी कोई नया वैरिएंट देखा जाता है, तो उसे वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट माना जाता है, या वैरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन कहा जाता या फिर वैरिएंट ऑफ कंसर्न माना जाता है. हर वैरिएंट को चिंताजनक नहीं कहा जाता. जब किसी वैरिएंट की वजह से तेजी से केस बढ़ते हैं, बीमारी गंभीर रूप लेने लगती है या फिर अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ने लगती है, तब उसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न समझा जाता है. लेकिन अभी ऐसा कुछ नहीं देखा गया है.
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