भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में तेजी से रेत संकट गहरा गया है, इसका कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (pollution control board) से अनुमति (सीटीओ) नहीं मिलने की वजह से रेत के कारोबार पर रोक (ban on sand business) लग गई है. प्रदेश की 1,100 खदानों के बंद होने से स्टॉक के भरोसे ही रेत का कारोबार चल रहा है. नतीजतन 35 से 40 हजार रुपये प्रति 30 घन मीटर मिलने वाली रेत अचानक से 50 से 70 हजार तक पहुंच गई है.
बता दें कि, बारिश के कारण पहले ही 15 जून से सभी रेत खदानें बंद थी. अब रेत का कारोबार शुरु होना था और नए ठेके जारी होते, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति नहीं मिलने की वजह से फिलहाल रेत का कारोबार अघोषित रूप से बंद पड़ा है. रेत के कारोबारी स्टॉक के सहारे रेत का कारोबार कर रहे हैं. इससे रेत के दाम में भी तेजी से उछाल आया है.
रेत की बढ़ी कीमतों की वजह से आशियाना बनाना फिलहाल बहुत मुश्किल या बहुत महंगा साबित होगा. जबकि प्रधानमंत्री योजना के अंतर्गत हितग्राहियों को ढाई लाख रुपये के करीब राशि मिल रही है. ऐसे में पीएम आवास बनाने वाले हितग्राही 70 हजार रुपये के हिसाब से डंपर खरीदते हैं तो उनका यह बजट काफी बढ़ जाएगा.
रेत खदानों के ठेके होने के बाद कुछ कंपनियों को पर्यावरण अनुमति मिल गई है. हालांकि, किसी को भी सीटीओ जारी नहीं हुआ है. ऐसे में प्रदेश की बंद रेत खदानों से ठेकेदारों ने काम चालू नहीं किया है. इससे बाजार से रेत गायब हो रही है. लंबे समय तक ऐसी स्थिति रही तो रेत का अवैध उत्खनन बढ़ेगा. रेत माफिया इसका फायदा उठाएंगे.
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