आज का दिन बुधवार है और धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha) जी की पूजा की जाती है । आपको बता दें कि आज यानि 25 अगस्त को भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी भी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना (worship) के लिए समर्पित है और आज के दिन चतुर्थी पड़ जाने से इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। आज इस व्रत पूजा से विशेष लाभ मिलेंगे। महिलाएं संतान की रक्षा के लिए बहुला चौथ का व्रत रखती हैं। इस दिन गाय और उसके बछड़े का भी पूजन करने की परंपरा है।
संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त
पंचांग के अनुसार संकष्टी चतुर्थी 25 अगस्त 2021 को दोपहर बाद 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 26 अगस्त को शाम 5 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी। इस लिए संकष्टी चतुर्थी व्रत और गणेश पूजन आज ही होगा।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (worship method)
संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लेन चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश का पूजन करने के लिए पूजा चौकी पर सबसे पहले लाल रंग के आसन पर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब उन्हें सिंदूर (Vermilion) का तिलक लगाएं। दूर्वा चढ़ाएं और धूप, दीप, गंध, फल-फूल आदि अर्पित करें। अब गणेश जी को उनके प्रिय मोदक या लड्डू का भोग लगाए। तत्पश्चात घी का दीपक जलाकर भगवान गणेश जी के मंत्रों और स्त्रोतों का पाठ करें। अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व(Significance of Sankashti Chaturthi)
संकष्टी चतुर्थी के दिन विशेष पूजन से गणपति की कृपा होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाला कष्ट जल्द समाप्त हो जाते हैं। ये व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विघ्नहर्ता गणेश जीवन के सभी दुख और संकट दूर करते हैं। चन्द्रमा (moon) के उदय होने तक बहुला चतुर्थी का व्रत करने का से विशेष लाभ मिलता है। इस व्रत को गौ पूजा व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत को करने से धन धन्य में वृद्धि होती है। यह व्रत निःसंतान को संतान तथा संतान को मान-सम्मान एवं ऐश्वर्य प्रदान करने वाला माना जाता है।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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