देश बड़ी खबर

बिहार के गोपालगंज में सारण तटबंध टूटा, नए इलाकों में बाढ़ का खतरा


पटना। बिहार में उफनती नदियां और बाढ़ के पानी ने 5 लाख से ज्यादा लोगों के जीवन को बेहाल कर दिया है। इस बार राज्य के करीब 10 से ज्यादा जिलों में स्थिति नाजुक हो चली है। इस बीच बिहार के गोपालगंज में एक और पुल बह गया है। यहां सारण तटबंध टूट गया है और इससे नए इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
गंडक नदी पर बना बांध गोपालगंज और चंपारण दोनों तरफ टूट गया है। यह पुलगोपालगंज के बरौली प्रखंड और मांझा प्रखंड में टूटा है, जबकि पूर्वी चंपारण साइड में संग्रामपुर में तटबंध टूट गया है। 21 जुलाई को गंडक बराज वाल्मीकिनगर बराज से 4 लाख 36 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। उसी पानी के दबाव से तटबंध ओवर फ्लो होकर टूट गया। गंडक के दोनों किनारे पर हुई इस टूट से गोपालगंज छपरा तथा पूर्वी चंपारण के सैकड़ो गांव प्रभावित होंगे। ग्रामीणों ने बांध को बचाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन पुल को बहने से रोक न सके। इससे पहले गोपालगंज में गंडक नदी पर बना पुल का एक हिस्सा बह गया था।
देवरिया में भी घाघरा नदी पर भागलपुर पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। पुल के ज्वाईंट में गैप आ गया है। यह पुल 1100 मीटर लंबा है। सलेमपुर से भाजपा सांसद रविन्द्र कुशवाहा ने कहा कि पुल को तैयार करने के लिए काम करेंगे। बता दें कि 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने इस पुल का लोकार्पण किया था। यह पुल पहले भी क्षतिग्रस्त हो चुका है।
बिहार में बाढ़ से हाहाकार के बीच 5 लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित है। सभी जिलों में मिलाकर करीब 245 पंचायतों में तबाही मची है। वैसे तो प्रशासन बचाव अभियान चला रहा है और 5 हजार लोग रिलीफ कैंपों में भेजे जा चुके हैं, लेकिन जिस पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन की जरूरत है, जितनी आबादी मदद की मोहताज है, उन तक जमीनी स्तर पर कोई एक्शन नहीं दिखता।
कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला बलान और महानंदा नदियों से उत्तर बिहार में बाढ़ का संकट गहराता है। इन सभी नदियों का कनेक्शन सीधे सीधे नेपाल से है। यानि जब भी नेपाल पानी छोड़ता है तो उसका कहर इन नदियों के जरिए उत्तर बिहार पर टूटता है। बिहार में 7 जिले ऐसे हैं, जो नेपाल से सटे हुए हैं। इनमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज शामिल हैं। नेपाल से छोड़े गए पानी का असर इन इलाकों में दिखने लगता है।
बिहार में बाढ़ पर काबू करने के लिए सरकारें सुस्त रवैये से प्लान बनाती रहीं। उस पर अमल करती रहीं। इसके तहत कुछ नदियों पर बांध बनाए गए, लेकिन अब तक तस्वीर नहीं बदली। पिछले 40 साल से यानी 1979 से अब तक बिहार लगातार हर साल बाढ़ से जूझ रहा है। बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के मुताबिक राज्य का 68,800 वर्ग किमी हर साल बाढ़ में डूब जाता है। हजारों परिवार बेघर हो जाते हैं।
असम बाढ़ से तबाही
असम में ब्रह्मपुत्र नदी गरज रही है। उसके विस्तार से कई जिलों में हालात बिगड़ रहे हैं। बाढ़ की वजह से देशभर में सबसे ज्यादा तबाही असम में ही है। असम में बाढ़ की वजह से 89 लोगों की जान जा चुकी है। 26 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में हैं, जबकि 2500 से ज्यादा गांवों में ब्रह्मपुत्र नदी की वजह से त्राहिमाम है। हालांकि लोगों की राहत के लिए 391 रिलीफ कैंप बनाए गए हैं जहां फिलहाल 45 हजार से ज्यादा लोगों का बसेरा है।

 

Share:

Next Post

और नायब तहसीलदार बन गईं बलि का बकरा

Fri Jul 24 , 2020
सस्पेंड से बचने के लिए लापरवाह 4 शिक्षकों का खेल कोविड थाना पलासिया के ग्रुप में छिपी सच्चाई इंदौर। प्रशासन द्वारा पिछले दिनों एक महिला नायब तहसीलदार को बलि का बकरा बनाते हुए तबादला कर दिया गया। इसके पीछे 4 महिला शिक्षकों ने खेल खेला है। कोरोना किल अभियान में लापरवाही की हद पार करने […]