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सैटेलाइट से मिलेगी पुख्‍ता जानकारी, अब कहां आएगी बाढ़, नदियों की होगी निगरानी

स्लोवेनिया । बाढ़ किस क्षेत्र में आने वाली है, अब यह सैटेलाइट से यह पता चल सकेगा । इससे बाढ़ से होने वाले नुकसान से लोगों को बचाया जा सकेगा। यह सैटेलाइट स्लोवेनिया (मध्य यूरोप) के अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने बनाया है। आईआईटी के सी-गंगा प्रोजेक्ट के विशेषज्ञ स्लोवेनिया के अंतरिक्ष विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस पर काम करेंगे।

आईआईटी के रिटायर वरिष्ठ वैज्ञानिक और सी-गंगा प्रोजेक्ट के संस्थापक प्रो. विनोद तारे ने बताया कि गंगा समेत अन्य नदियों की निगरानी अब इसी सैटेलाइट के जरिये की जाएगी। जल्द नदियों की स्पेस मैपिंग शुरू होगी। सैटेलाइट से फ्लड प्लेन (बाढ़ क्षेत्र) पर अतिक्रमण के साथ गंगा के प्रदूषण और पानी पर निगरानी रखी जा सकेगी। बताया कि अभी तक भारतीय सैटेलाइट से निगरानी की जाती थी, लेकिन बादल होने या खराब मौसम की वजह से स्थिति का ठीक से पता नहीं चल पाता था। लेकिन स्लोवेनिया के सैटेलाइट में ये समस्या नहीं आएगी।

इसमें हाईटेक सेंसर लगे हैं। ये तेज हवा या बादल छाने पर भी साफ तस्वीर और सही डाटा उपलब्ध कराएंगे। अभी तक के सैटेलाइट में लगे ऑप्टिकल सेंसर बादल छाने पर कारगर नहीं होते हैं। बताया कि स्लोवेनिया के वैज्ञानिक सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग के माध्यम से स्पेस मैपिंग को आसान बनाएंगे। थ्रीडी मॉडल से गंगा या अन्य नदियों को काफी नजदीक से देखा जा सकेगा। इससे स्वच्छता के लिए चल रहे अभियान की हकीकत भी देखी जा सकेगी। पहले गंगा और बाद में देश की सभी नदियों पर यह प्रोजेक्ट लागू किया जाएगा।

बाढ़ क्षेत्र पर तेजी से बढ़ रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए बाढ़ क्षेत्र का पता होना भी जरूरी है। बाढ़ आने के बाद उस क्षेत्र में फिर लोग रहने लगते हैं। चूंकि इस क्षेत्र में दोबारा बाढ़ आने की संभावना बहुत प्रबल होती है, ऐसे में जब बाढ़ दोबारा आती है तो काफी जान-माल का नुकसान होता है। अभी तक के सैटेलाइट से बाढ़ क्षेत्र के बारे में नहीं पता चल पाता है। लेकिन स्लोवेनिया के इस सैटेलाइट से बाढ़ क्षेत्र का पता चल जाएगा।

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