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साइंस भी हैरान, बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है इस बीमारी का खतरा

मुंबई, (Mumbai) ऑटिज्म एक मेंटल डिसऑर्डर है. यह समस्या बच्चों से लेकर बड़ों तक देखने को मिलता है. हालांकि, कई लोग Autism Spectrum Disorder (ASD) की चपेट में रहने के बावजूद अच्छी जिंदगी जीते हैं. ऐसे लोगों में कुछ खूबी और कुछ कमियां होती हैं. जब इन पर समस्याएं हावी होती हैं तो परिवार के साथ रहना कठिन हो जाता है. ऐसी स्थिति में इस डिसऑर्डर को कंट्रोल करने पर काम करना चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर बचपन में इसका पता चल जाए तो बच्चों को स्किल सिखाना काफी आसान हो जाता है. इससे उनकी जिंदगी काफी आसान हो जाती है.

ऑटिज्म डिसऑर्डर में खासियतें
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसे लोगों में कई खासियतें ऐसी होती हैं, जो दूसरों के पास शायद ही हो लेकिन ऐसी कमियां भी हो सकती हैं, जिसकी वजह से सामान्य जिंदगी न ही जी पाएं. इस बात को समझना चाहिए कि ऑटिज्म का इलाज फिलहाल साइंस के पास भी नहीं है लेकिन ऑटिज्म वाले बच्चे या शख्स की अवस्था में बेहतरी ज़रूर हो सकती है. अलग-अलग थेरेपी के माध्यम से उनकी मदद की जा सकती है. उन्हें इसका फायदा होता है.



ऑटिज्म को कैसे पहचानें
अगर कोई बच्चा पैरेंट्स या किसी जानने वाले को बुलाने पर रिएक्ट न करे और बार-बार ऐसा हो तो अलर्ट हो जाना चाहिए. इसे अटेंशन डेफिसिट भी कहा जाता है. बात करते समय आंखें न मिलाना. 9 महीने की उम्र में अपने नाम को अगर बच्चा न पहचाने और नाम सुनकर भी जवाब न दे. बच्चा अपनी खुशी, उदासी, गुस्से जैसी भावनाएं न दिखा पाए. 1 साल की उम्र में सामान्य खेल या किसी छोटी-सी चीज की कॉपी न कर पाए तो भी अलर्ट हो जाना चाहिए. अगर बच्चा टाटा, बाय-बाय न कर पाए तो भी सचेत होना चाहिए. इसके अलावा अगर 15 महीने की उम्र में अपना इंस्ट्रेस्ट किसी के साथ शेयर न करे.

बच्चों में ऑटिज्म के ये लक्षण भी
1.5 साल की उम्र में घर या बाहर बच्चों के लिए इंट्रेस्ट वाली चीज पर बिल्कुल भी रिएक्ट न करना. अगर छिपकली, किसी जानवर, सूरज, चांद देखकर इशारा न करना. 2 साल की उम्र में दूसरों की भावनाएं समझने में मुश्किल हो. 3 साल की उम्र में दूसरे बच्चों के साथ खेलने में दिलचस्पी न दिखाए. 4 साल की उम्र कुछ भी बनने की कल्पना न करना, 5 साल की उम्र में गाना, डांस, ऐक्टिंग जैसी एक्टिविटीज न करना, ऐसा बिहैवियर दिखे तो तुरंत सावधान हो जाना चाहिए.

रिपिटेटिव बिहैवियर
1. बार-बार कोई शब्द या वाक्य दोहराना यानी Echolalia.
2. एक ही तरह का खेल, एक ही तरह के खिलौने से खेलना.
3. टोकने या मना करने पर ज्यादा नाराज हो जाएं.
4. अचानक ज्यादा हाइपर होना, कुछ भी उठाकर फेंकने लगे.
5. रुटीन से हटने को राजी न होना.
6. बहुत ज्यादा उत्तेजित होकर एक ही बात पर बार-बार बिना किसी मतलब के ही ताली बजाना

बच्चों का ये बिहैवियर भी ऑटिज्म के संकेत
1. डेढ़ साल तक का बच्चे का सिंगल वर्ड ही बोल बाना, जैसे-दूध, खाना, पापा, मम्मा
2. 19-35 महीने तक का बच्चा 2-3 शब्दों को जोड़कर फ्रेज बना पाए.
3. 36-42 महीने का बच्चा सिर्फ एक ही छोटा सा पैराग्राफ बोल पाए.

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