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वैज्ञानिकों ने खोजे ऐसे वायरस, जो पहले कभी नहीं देखे, पूरी दुनिया में फैल रहे

नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने ऐसे वायरस खोजे हैं, जो पहले कभी नहीं देखे गए. इनका नाम माइरसवायरस (Mirusvirus) है. लैटिन भाषा में माइरस का मतलब विचित्र (Strange) होता है. ये वायरस समुद्रों में प्लैंकटॉन्स (Planktons) को संक्रमित कर चुके हैं. चाहे वह आर्कटिक महासागर हो या अंटार्कटिक. हर जगह ये वायरस मौजूद हैं.

ये माइरसवायरस वायरसों के बड़े समूह डुप्लोडीएनएवीरिया (Duplodnaviria) का हिस्सा हैं. इसी बड़े समूह में हर्पिस वायरस भी आते हैं. जो बड़े पैमाने पर जानवरों और इंसानों को बीमार और संक्रमित करते हैं. हर्पिस वायरस और माइरसवायरस एक दूसरे से जेनेटिक रिश्ता रखते हैं. लेकिन माइरसवायरस में जायंट वायरस वैरीडीएनएवीरिया (Varidnaviria) के जेनेटिक मटेरियल भी हैं.

ये माइरसवायरस डुप्लोडीएनएवीरिया और वैरीडीएनएवीरिया के बीच का हाइब्रिड वायरस है. फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (CNRS) के साइंटिस्ट टॉम डेलमॉन्ट ने बताया कि बेहद अलग वायरस है. इससे पहले हमने कभी ऐसा कोई वायरस नहीं देखा है. यह दो बड़े वायरस समूह का क्रॉसब्रीड है. एक तरफ तो हर्पिस वायरस और दूसरी तरफ जायंट वायरस. इस विचित्र वायरस के बारे में स्टडी रिपोर्ट 19 अप्रैल 2023 को Nature जर्नल में छपी है.


लेकिन स्टडी में यह बात स्पष्ट तौर पर बताई गई है कि वैज्ञानिक इस वायरस के बारे में बेहद कम जानते हैं. इस वायरस को खोजने के लिए वैज्ञानिकों ने तारा ओशन एक्पेडिशन के डेटा को कलेक्ट किया. 2009 से 2013 के बीच अलग-अलग समुद्रों से पानी के सैंपल जमा किए गए थे. जिसमें वायरसों, एल्गी और प्लैंकटॉन्स की खोज हो रही थी. इसके बाद वैज्ञानिकों ने करोड़ों माइक्रोब्स के डीएनए की जांच की.

टॉम डेलमॉन्ट हमें एक इवोल्यूशनरी खजाना मिला है. माइरसवायरस डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है, जो समुद्र की रोशनी वाले इलाके में पाया जाता है. आमतौर पर प्लैंकटॉन्स को संक्रमित कर चुके हैं. ये वो छोटे जीव है, जो समुद्री लहरों के साथ एक समुद्र से दूसरे में तैरते रहते हैं. ये वायरस भविष्य में समुद्र के अंदर कार्बन और पोषक तत्वों के बहाव को बिगाड़ सकते हैं. टॉम कहते हैं कि प्लैंकटॉन्स के एक अभिन्न हिस्सा वायरस होते हैं. उनसे दूर नहीं रहा जा सकता.

टॉम कहते हैं कि माइरसवायरस की मदद से हम हर्पिस वायरस की उत्पत्ति का पता लगा सकते हैं. क्योंकि इस वायरस के डीएनए के बाहरी ओर जो परत है वह डुप्लोडीएनएवीरिया और वैरीडीएनएवीरिया के बीच समान है. यानी दोनों समूहों का इवोल्यूशनरी संबंध है. फिलहाल हमारा मकसद ये जानना है कि हर्पिस वायरस कहां से आया.

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