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लिविंग प्लानेट रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, 50 साल पहले के मुकाबले वन्य-जीवों में आई 69% की कमी

नई दिल्‍ली । लिविंग प्लानेट रिपोर्ट 2022 (Living Planet Report 2022) में 32 हजार से ज्यादा जीवों की प्रजातियों (species of animals) का विश्लेषण 90 वैज्ञानिकों (scientists) ने किया। यह पिछली बार से 11 हजार ज्यादा है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ भारत के महासचिव व सीईओ रवि सिंह (CEO Ravi Singh) ने बताया, इस द्विवार्षिक रिपोर्ट में 838 प्रजातियां नई हैं।

पृथ्वी का हेल्थ चेकअप कही जाने वाली इस रिपोर्ट में आकलन किया जाता है कि मानव आबादी के दबाव, औद्योगिक गतिविधियों, जंगलों के खात्मे से जीवों को क्या नुकसान हो रहा है? डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरनेशनल के मार्को लेंबर्टिनी के अनुसार आज पृथ्वी जलवायु परिवर्तन व जैव-विविधता के खात्मे के ‘दोहरे आपातकाल’ से गुजर रही है। इसका खामियाजा भावी पीढ़ियों को भुगतना होगा।


भारत के हालात
भारत के दक्षिण में स्थित वर्षा वनों में सबसे दुष्प्रभाव दिखा है। हिमालय और इससे जुड़े जंगलों पर भी इसका बुरा असर नजर आ रहा है। इन क्षेत्रों को रिपोर्ट ने एक नक्शे में लाल व पराबैंगनी रंगों में दर्शाया। 2021 में जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाले देशों में भारत सातवें स्थान पर रहा।

इतने बिगड़े हालात

  • धरती की 70 प्रतिशत और ताजे पानी की 50 प्रतिशत जैव-विविधता खतरे में है।
  • प्राकृतिक जल स्रोतों से 3 में से 1 मछलियां इतनी ज्यादा पकड़ी जा रही हैं कि उनकी आबादी पहले के स्तर पर नहीं बढ़ पा रहीं।
  • 4 डिग्री सेल्सियस बढ़ा तापमान तो 75% प्रजातियां हो जाएंगी खत्म
  • जलवायु परिवर्तन व धरती का तापमान बढ़ने से वन्य जीवों को भी नुकसान हो रहा है। रिपोर्ट ने दावा किया कि 18वीं शताब्दी में हुई औद्योगिक क्रांति से पहले के मुकाबले औसत तापमान 4 डिग्री सेल्सियस बढ़ा तो 4 में से 3 यानी 75 प्रतिशत जीव सदा के लिए खत्म हो जाएंगे। 3 डिग्री वृद्धि पर 50 से 75 प्रतिशत, 2 डिग्री वृद्धि पर 25 से 50 प्रतिशत और 1 डिग्री वृद्धि पर 25 प्रतिशत तक जीव खत्म होंगे। पृथ्वी पहले की तुलना में 1.2 डिग्री गर्म हो चुकी है।

6 गतिविधियां जो बाकी जीवों के लिए बनी मौत

  • डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की भारत में अधिकारी सेजल वोरा ने बताया कि मानव की 6 गतिविधियों से वन्य जीवों को बड़ा नुकसान हो रहा है। इनमें शिकार, खेती, जंगलों की कटाई, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और किसी नाजुक पर्यावरण में खतरनाक जीवों की प्रजातियों को बसाना शामिल है।
  • समुद्र में प्लास्टिक 1980 के मुकाबले 10 गुना बढ़ा है, इससे 86 प्रतिशत समुद्री कछुओं सहित कई जीवों पर संकट है
  • 95% व्हाइट टिप शार्क खत्म हो चुकी हैं, रे व अन्य शार्क की आबादी 71 प्रतिशत घटी है।
  • 90% वेटलैंड पूरी तरह खत्म हो चुके हैं, हर 2 सेकंड में फुटबॉल के एक मैदान बराबर जंगल काटा जा रहा है।
  • बच सकते हैं अगर भी इतना करें
  • नुकसान कर रही 6 प्रमुख गतिविधियों पर नियंत्रण करने पर ध्यान देना होगा…पृथ्वी का तापमान 1.5 डिग्री से ज्यादा नहीं बढ़ने देना होगा।
  • प्रकृति को नुकसान आज ही रोक दें तो वन्य जीवों की आबादी 2050 तक पहले के स्तर पर ला सकेंगे।
  • स्थानीय फल, सब्जी, अनाज व अन्य खाद्य पदार्थों का उपयोग करके व भोजन बेकार न करके वन्यजीवों को नुकसान 46 प्रतिशत कम कर सकते हैं।

सफल होगा ‘प्रोजेक्ट चीता’
भारत में प्रोजेक्ट चीता और इसी प्रकार के अन्य प्रोजेक्ट्स की सफलता व वन्य जीवों के संरक्षण पर रवि सिंह ने कहा कि प्रोजेक्ट चीता सफल होगा। पहले भी ऐसे ही प्रोजेक्ट्स से घड़ियाल, मगर, असम के एक सींग वाले गैंडे, बाघ, गंगा की डॉल्फिन और गुजरात में एशियाई शेरों को बचाने में भारत ने सफलता हासिल की है। प्रोजेक्ट चीता में यह अनुभव अहम भूमिका निभाएंगे।

भारत में पक्षी, पशु, कीट…सभी पर संकट

  • 1.2 डिग्री सेल्सियस गर्म हो चुकी है पृथ्वी पहले की अपेक्षा
  • 40% मधुमक्खियां पिछले 25 साल में खत्म हो चुकी
  • 847 पक्षियों की प्रजातियां अध्ययन में शामिल, इनमें 50% की आबादी गिरी
  • 146 प्रजातियों के पक्षी तो भारत से निकट भविष्य में पूरी तरह खत्म हो जाएंगे
  • 45 से 64% जंगल 2030 तक जलवायु परिवर्तन, बारिश, सूखे से नुकसान सह रहे होंगे
  • 137 वर्ग किमी के सुंदरबन का इलाका 1985 के मुकाबले खत्म हो चुका है। इसका बड़ा हिस्सा भारत में
  • ताजे पानी के कछुओं की 17 प्रजातियां खत्म ही समझिए… 150 प्रजातियों के उभयचर भी खतरे में
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