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महाविकास अघाड़ी में सीट शेयरिंग पर नहीं बनी बात, कहीं उद्धव और कांग्रेस में तकरार, तो कुछ पर अड़े शरद पवार

मुंबई (Mumbai) । लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में कुछ महीनों का ही समय बाकी है और अब तक MVA यानी महाविकास अघाड़ी में सीट शेयरिंग (seat sharing) पर बात नहीं बन सकी है। कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) की 48 में से सिर्फ 8 सीटों पर पेच फंस रहा है। हालांकि, अब तक MVA के किसी भी दल की तरफ से इन सीटों को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। ECI यानी भारत निर्वाचन आयोग फरवरी के अंत में या मार्च के पहले सप्ताह में तारीखों का ऐलान कर सकता है।

एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि 8 सीटों में अकोला, भंडारा-गोंदिया, हिंगोली, कोल्हापुर, मुंबई दक्षिण मध्य, मुंबई उत्तर पश्चिम, नाशिक, पुणे और वर्धा का नाम शामिल है। MVA में हाल ही में प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) की एंट्री हुई है। इसमें शामिल प्रमुख दल शिवसेना (UBT), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और कांग्रेस हैं।


क्यों इन सीटों पर अटकी बात
नाशिक: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां अविभाजित शिवसेना के हेमंत गोडसे ने NCP के समीर भुजबल को हरा दिया था। अब गोडसे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और भुजबल डिप्टी सीएम अजित पवार की एनसीपी में हैं।

कोल्हापुर: खास बात है कि इस सीट अपने-अपने मजबूत कैडर के चलते तीनों दल दावा पेश कर रहे हैं। यहां बीते चुनाव में अविभाजित शिवसेना के संजय मांडलिक ने एनसीपी के धनंजय महाडिक को हराया था। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि यहां से छत्रपति शाहू महाराज के वंशज श्रीमंत शाहू छत्रपति को विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर उतारा जा सकता है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि वह किस चिह्न के साथ मैदान पर उतरेंगे, फिलहाल यह तय नहीं किया जा सका है।

मुंबई दक्षिण मध्य: कहा जा रहा है कि दादर को कवर करने के चलते यह सीट शिवसेना (UBT) के लिए साख का विषय बन गई है। दरअसल, दादर में ही पार्टी का मुख्यालय था। साल 2019 में यहां से अविभाजित शिवसेना के राहुल शेवाले ने कांग्रेस के एकनाथ गायकवाड़ को डेढ़ लाख से ज्यादा मतों से हराया था। इसके बाद शेवाले शिंदे कैंप में शामिल हो गए। कहा जा रहा है कि इस सीट से मुंबई कांग्रेस की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ टिकट की कोशिश में हैं। वहीं, शिवसेना (UBT) किसी ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतारना चाहती है, जो शेवाले को हरा सके।

मुंबई उत्तर पश्चिम: साल 2019 में यहां से अविभाजित शिवसेना के गजानन कीर्तिकार ने कांग्रेस के संजय निरुपम को हराया था। फिलहाल, कीर्तिकार शिवसेना में हैं, लेकिन उनके बेटे अमोल शिवसेना (UBT) के ही साथ हैं और माना जा रहा है कि वह भी टिकट के दावेदार हो सकते हैं। जबकि, इस सीट से निरुपम फिर टिकट की मांग कर रहे हैं। खबर है कि ठाकरे ने पहले ही मुंबई दक्षिण मध्य और उत्तर पश्चिम की सीटों के लिए पर्यवेक्षकों का ऐलान कर दिया है।

पुणे: कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर भाजपा ने साल 2019 में सेंध लगा दी थी। तब भाजपा के उम्मीदवार रहे गिरीश बापट ने कांग्रेस के मोहन जोशी को 3 लाख से ज्यादा मतों से हराया था। अब कांग्रेस दोबारा इस सीट की मांग कर रही है। जबकि, पुणे जिले और आसपास के इलाकों में शरद पवार के प्रभाव के चलते यहां एनसीपी प्रयोग करना चाहती है।

वर्धा: कहा जा रहा है कि इस सीट पर एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस दोनों की नजरें हैं। एक ओर एनसीपी का कहना है कि कांग्रेस यहां दो बार भाजपा से हार चुकी है। वहीं, कांग्रेस का मानना है कि क्षेत्र में अब भी उसका जनाधार है।

भंडारा-गोंदिया: यहां भी शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी और कांग्रेस के बीच पेच फंसा माना जा रहा है। अजित पवार खेमे के सबसे वरिष्ठ नेता माने जाने वाले प्रफुल्ल पटेल का यह गढ़ माना जाता है। अब शरद पवार का खेमा यहां जीत दर्ज करना चाहता है। खास बात है कि महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले भी इसी क्षेत्र से आते हैं और पार्टी उन्हें ही मैदान में उतारना चाहती है।

साल 2019 में अविभाजित एनसीपी को भाजपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले 2014 में पटोले यहां भाजपा के टिकट पर जीत हासिल कर चुके हैं, लेकिन बाद में उन्हें पार्टी छोड़ दी थी और उपचुनाव में एनसीपी ने जीत दर्ज की थी।

अकोला: इसे VBA का मजबूत गढ़ माना जाता है। कांग्रेस भी यहां से उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रही है।

हिंगोली: यहां उद्धव सेना और कांग्रेस के बीच चर्चाएं जारी हैं। साल 2019 में अविभाजित शिवसेना के हेमंत पाटिल ने कांग्रेस के सुभाष वानखेड़े को 2.77 लाख मतों से हराया था। अब पाटिल शिवसेना का हिस्सा हैं। जबकि, वानखेड़े उद्धव सेना में वापस आ चुके हैं।

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