विदेश

भारतीय सैन्यकर्मियों का दूसरा जत्था भी मालदीव से रवाना

माले (Male)। भारत (India) के साथ द्विपक्षीय समझौते (bilateral agreement) के तहत हेलीकॉप्टर का संचालन (operating helicopters) करने वाले भारतीय सैन्य कर्मियों (Indian military personnel) का दूसरा समूह नौ अप्रैल को मालदीव (Maldives) से रवाना हो गया है। मालदीव (Maldives) के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (President Mohammed Muizzu) ने यह घोषणा की।

इस महीने के अंत में होने वाले संसदीय चुनावों से पहले सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवारों के लिए एक अभियान कार्यक्रम के दौरान मुइज्जू ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। स्थानीय मीडिया ने मुइज्जू के हवाले से कहा, ‘‘पहली टीम जा चुकी है। नौ अप्रैल को दूसरे प्लेटफॉर्म से भी सैनिक हटा लिए गए हैं।’’


‘एडिशन डॉट न्यूज पोर्टल’ ने मुइज्जु के हवाले से अपनी खबर में कहा, ‘‘एक ही प्लेटफार्म बचा है। जैसा कि दोनों देशों ने पहले ही हस्ताक्षर कर दिए हैं, उन्हें (बाकी भारतीय सैन्य कर्मियों को) भी 10 मई से पहले वापस बुला लिया जाएगा। वे चले जायेंगे।’’ इस देश से भारतीय सैन्यकर्मियों की वापसी पर न तो मालदीव रक्षा मंत्रालय और न ही भारत ने कोई टिप्पणी की है।

मालदीव सरकार के अनुसार, 88 भारतीय सैनिक मालदीव में एक हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान को संचालित करने के लिए तैनात थे। भारतीय सैनिकों का पहला समूह 11 मार्च को मालदीव से रवाना हुआ था।

न तो मालदीव रक्षा मंत्रालय और न ही भारत ने इस देश से भारतीय सैन्य कर्मियों की ताजा वापसी पर टिप्पणी की है। मालदीव सरकार के अनुसार, 88 भारतीय सैनिक मालदीव में अद्दू और लामू कधधू में हेलीकॉप्टर और हनीमाधू में एक डोर्नियर विमान संचालित करने के लिए तैनात थे। भारतीय सैनिकों का पहला जत्था 11 मार्च को मालदीव से रवाना हुआ था।

पिछले साल नवंबर में मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से मालदीव और भारत के बीच संबंध खराब हुए हैं, जबकि चीन के साथ करीबी संबंध बरकरार हैं। उन्होंने जनवरी में चीन की यात्रा भी की थी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत शीर्ष चीनी नेताओं से मुलाकात की थी। चीन और मालदीव ने हाल ही में एक रक्षा सहयोग समझौते और कई अन्य बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए।

मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी है। यह देश ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और नरेंद्र मोदी सरकार की ‘पड़ोसी पहले की नीति’ जैसी पहलों में एक विशेष स्थान रखता है।

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